ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
***********************************************
जीवन की कविता में,
हर उपमा झूठी है
वो चाँद ही है जनाब,
जिसने वाह-वाही लूटी है।
चाँद को बेनकाब न करो यारों,
इसकी उपमा तो
हर दुल्हन ने भी पाई है,
वो अपनों के बीच,
‘चाँद का टुकड़ा’ कहलाई है।
कभी ‘मामा’ बन बच्चों के संग,
दिल से खुशियाँ मनाई है,
तो कभी महबूबा के मुखड़े पर,
अपनी जगह बनाई है।
पूर्णिमा की सुनहरी रात में,
एक नई रोशनी फैलाई है
लैला ने मजनूं संग मिलकर,
एक सुंदर ग़ज़ल बनाई है।
चाँद से ही रोशन है जीवन,
घर-घर खुशियां छाई है।
अपनों के संग मिलकर उसने,
एक नई उपमा पाई है॥
परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।