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अनाम रिश्ता

संजय एम. वासनिक
मुम्बई (महाराष्ट्र)
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जिंदगी की राह में,
कई मोड़ आते हैं…
कभी किसी मोड़ पर,
किसी अजनबी से
रिश्ते बन जाते हैं,
वही अजनबी
करीबी हो जाते हैं,
जिंदगी में आकर,
जिंदगी बन जाते हैं।

कुछ ऐसे ही रिश्ते,
अनाम होते हैं
हँसाते हैं, रुलाते हैं,
लड़ते हैं, झगड़ते हैं
रुठते हैं, मनाते हैं।

पास आते हैं,
तो खिलखिलाते हैं,
दूर चले जाते हैं,
उदासियां दे जाते हैं
फिर कभी किसी,
मोड़ पर मिलते हैं
जैसे दो नदियाँ,
संगम पर मिलती हैं।

कितने भी दूर रहें,
मन में यादें बसती हैं
ऐसे रिश्तों की यादें,
बेचैनियाँ फैलाती है,
ऐसे रिश्ते को
‘दोस्ती’ कहते हैं…।
या कुछ और नाम देते हैं,
जिसे लोग ‘दोस्त’ कहते हैं…॥

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