डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)
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रचना शिल्प: वर्णिक सवैया, ४ चरण का छंद,
चारों चरण समतुकांत होने चाहिए।
२२ + (७× सगण ) + २२, मापनी-
२२ ११२ ११२ ११२ ११, २ ११२ ११२ ११२ २२
(२५ वर्ण, १३,१२ वें वर्ण पर यति हो)
वर्षा ऋतु सावन में बरसे जल,
सृष्टि लगे अब ये सबको प्यारी।
उद्यान खिले धरती सजती अब,
चूनर ओढ़ करे यह तैयारी।
है यौवन भी कलियों पर तो अब,
ताल तड़ाग भरे नदियाँ सारी।
ये सावन की ऋतु है मनभावन,
दूर रहे हमसे अब बीमारी॥
गाए धरती नभ सावन में अब,
पावन भाव जगे सब गानों में।
झूले अब झूल रही सखियाँ सब,
सुंदर-सुंदर से परिधानों में॥
विश्वास जगे मन मंदिर भीतर,
बोल रही अब कोयल तानों में।
आनन्दित है जग में हर मानव,
पंख लगे सबके अरमानों में॥
परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा) डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बड़ियाल कलां,जिला दौसा (राजस्थान) में जन्मे नवल सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी.,साहित्याचार्य, शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ से अधिक पुस्तक प्रकाशित हैं। आपकी कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद इनके पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो,
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’