डॉ.अरविन्द जैन
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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राष्ट्रीय सर्वश्रेष्ठ मित्र दिवस (८ जून) विशेष…
अक्सर कहा जाता है कि जिंदगी में एक दोस्त जरूर होना चाहिए जिससे आप अपनी मन की बात कह सकें, क्योंकि ऐसी बहुत-सी बातें होती हैं जिन्हें हम परिवार के साथ नहीं साझा कर पाते हैं। हमारे दोस्त हमें बिना जांचे बात सुनते हैं, समझते हैं और हमारा साथ देते हैं। ऐसी जगह हमारे साथ खड़े रहते हैं, जब हमें किसी के साथ की जरूरत होती है। ऐसे में उन्हीं दोस्तों के नाम पर हर साल ८ जून को ‘राष्ट्रीय सर्वश्रेष्ठ मित्र दिवस’ मनाया जाता है।
सबसे अच्छे दोस्त, चाहे वे निकट हों या दूर, पुराने हों या नए, हमें जीवन में आगे बढ़ने में मदद करते हैं। वे हमारी खुशियाँ बांटते हैं, हमारे दु:ख में हमारी मदद करते हैं, और अच्छे-बुरे दोनों समय में मौजूद रहते हैं।
८ जून को संयुक्त राज्य और कनाडा में ‘राष्ट्रीय सर्वश्रेष्ठ मित्र दिवस’ के रूप में नामित किया गया है, जो उन लोगों के साथ कुछ समय बिताने का एक शानदार अवसर है, जो हमारे गिरने पर हमें पकड़ने के लिए हमेशा मौजूद रहते हैं। १९३५ में इसे अमेरिकी कांग्रेस ने मान्यता दी। यह दिन दोस्ती के बंधन को मनाता है, जो जोड़ता है। विशेष रूप से एक व्यक्ति और उनके करीबी दोस्त या दोस्तों के समूह के बीच संबंधों का जश्न कुछ व्यक्तियों के लिए, उनके सबसे करीबी दोस्त उनके साथी या जीवनसाथी, उनके भाई-बहन, उनके माता-पिता या उनके पालतू जानवर भी हो सकते हैं। यह दिन एकसाथ अनुभव किए गए पलों को संजोने और बंधन के आभारी होने के लिए है।
हमें सदा आईने और परछाई जैसे मित्र रखने चाहिए, क्योंकि आईना कभी झूठ नहीं बोलता और परछाई कभी साथ नहीं छोड़ती। दोस्ती तो जिंदगी का एक खूबसूरत लम्हा है, जिसका अंदाज सब रिश्ते से अलबेला है। जिसे मिल जाए वह तन्हाई में भी खुश है, और जिसे ना मिले तो वो भीड़ में भी अकेला है! जो व्यक्ति पुराने मित्रों के प्रति भी अपने प्रेम में अंतर नहीं आने देते, उन्हें शत्रु भी स्नेह की दृष्टि से देखते हैं।
मेरे जीवन में मित्रों का बहुत स्नेह रहा, जो आज भी बरक़रार है। इसमें डॉ. रामकृष्ण सक्सेना (६२ वर्ष पुरानी दोस्ती), दिलीप कापदेव (४७ वर्ष), डॉ. श्याम मनोहर सिरोठिया (५५ वर्ष), डॉ. सी.एल. गोस्वामी (५४) और डॉ. दीपक जैन (५४), हरिशंकर शर्मा (४७ वर्ष), डॉ. अमरेश और श्रीमती उर्मिला चतुर्वेदी (४० वर्ष) सहित कुछ शत्रुवत मित्र डॉ. एस.एस. पराशर एवं डॉ. बी.एम. बोहरे जिन्होंने मुझे अपना बचाव करने के योग्य बनाया। इसके अलावा शशिकांत अन्वेकर, जगदीश सिंह, विजय सिंह जैसे सेवक मित्र रहे, जिन्होंने सच्चे मित्रवत मित्रता निभाई। मेरे जीवन में अनेक मित्रों का भरपूर सहयोग रहा, जिनका नाम उल्लेख कर पाना कठिन है, पर मेरे सेवाकाल में जिलों में कार्यरत उन साथियों को भूल पाना मुश्किल है। डॉ. दीपक मेरे भाई कम दोस्त अधिक थे, और वे मेरे लिए ‘भामाशाह’ रहे। उनको मेरे द्वारा भूल जाना असंभव है।
परिचय- डॉ.अरविन्द जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को हुआ है। वर्तमान में आप होशंगाबाद रोड भोपाल में रहते हैं। मध्यप्रदेश के राजाओं वाले शहर भोपाल निवासी डॉ.जैन की शिक्षा बीएएमएस(स्वर्ण पदक ) एम.ए.एम.एस. है। कार्य क्षेत्र में आप सेवानिवृत्त उप संचालक(आयुर्वेद)हैं। सामाजिक गतिविधियों में शाकाहार परिषद् के वर्ष १९८५ से संस्थापक हैं। साथ ही एनआईएमए और हिंदी भवन,हिंदी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखन विधा-उपन्यास, स्तम्भ तथा लेख की है। प्रकाशन में आपके खाते में-आनंद,कही अनकही,चार इमली,चौपाल तथा चतुर्भुज आदि हैं। बतौर पुरस्कार लगभग १२ सम्मान-तुलसी साहित्य अकादमी,श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य,वरिष्ठ साहित्कार,उत्कृष्ट चिकित्सक,पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी आदि हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी अभिव्यक्ति द्वारा सामाजिक चेतना लाना और आत्म संतुष्टि है।