बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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रचनाशिल्प:१६ वर्ण, प्रति चरण
४ चरण, २-२ समतुकांत हो, ७, १६ वें वर्ण पर यति अनिवार्य।
रगण यगण स,गण भगण तगण गुरु २१२ १२२ १,१२ २११ २२१ २
विष्णु गुप्त कौटिल्य, सँभालो अपने देश को।
हो अखण्ड उद्घोष, पुराने शुभदा वेश को।
हे सुजान चाणक्य, सुनाओ पहला राग हो।
राष्ट्र प्रेम का ज्वार, बढ़ाता खिलता फाग हो।
नन्द वन्श का नाश, करें यों फिर से धार लो।
ब्रह्म शक्ति उद्घोष, वही हो द्विज ये भार लो।
अर्थवान हैं राज्ञ, सहे तो जनता देश की।
लोक तंत्र के नाम, मिटाते गुरुता वेश की।
मानवीय जो द्वन्द, मिटाने मिथ आधिक्य हो।
आज आपकी माँग, बढ़ी है फिर चाणक्य हो।
‘विज्ञ छन्द विज्ञान’, रचे हैं कर के साधना।
छन्द-छन्द में देश, पढ़ोगे सच हो कामना।
परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा है। आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) है। सिकन्दरा में ही आपका आशियाना है।राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन (राजकीय सेवा) का है। सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैं। लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैं। शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया है।आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः है।