डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती
बिलासपुर (छतीसगढ़)
*************************************************
सब ‘धरा’ रह जाएगा (पर्यावरण दिवस विशेष)…
भूमि का खनन,
इमारतों का चलन
सड़कों का चौड़ीकरण।
पेड़ों का निर्वनिकरण,
पानी के सारे स्रोतों का
सूखने का मूल कारण।
गाँवों का शहरीकरण,
शहरों में उद्योगीकरण
दूरसंचार केबल का स्थापन।
प्लास्टिक का उपयोग,
कड़ाई से बंद करने पर ही
स्वच्छ रख पाएंगे,
हम अपना वातावरण।
जनसंख्या वृद्धि भी है,
एक बड़ा कारण
रहने के लिए जमीन कम,
उपार्जन कम और व्यय अधिकतम।
कैसे बच पाएगा ये पर्यावरण ?
पेड़, पौधे, पाती, फल, फूल
हवा, पानी, लकड़ी और ईंधन।
पशु, पक्षी जीव और मानव,
हरियाली और खुशहाली
सब धरा रह जाएगा।
जब बचा न पाएंगे हम,
जंगल, गाँव, खेत-खलिहान
नदियाँ, झरने, तालाब, समंदर।
कैसे बचाएं ये धरती और गगन ?
करो सब मिलकर गहन चिंतन, मनन।
अगली पीढ़ी के लिए,
पेड़ लगाएं दैनंदिन॥
परिचय- शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राध्यापक (अंग्रेजी) के रूप में कार्यरत डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती वर्तमान में छतीसगढ़ राज्य के बिलासपुर में निवासरत हैं। आपने प्रारंभिक शिक्षा बिलासपुर एवं माध्यमिक शिक्षा भोपाल से प्राप्त की है। भोपाल से ही स्नातक और रायपुर से स्नातकोत्तर करके गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (बिलासपुर) से पीएच-डी. की उपाधि पाई है। अंग्रेजी साहित्य में लिखने वाले भारतीय लेखकों पर डाॅ. चक्रवर्ती ने विशेष रूप से शोध पत्र लिखे व अध्ययन किया है। २०१५ से अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय (बिलासपुर) में अनुसंधान पर्यवेक्षक के रूप में कार्यरत हैं। ४ शोधकर्ता इनके मार्गदर्शन में कार्य कर रहे हैं। करीब ३४ वर्ष से शिक्षा कार्य से जुडी डॉ. चक्रवर्ती के शोध-पत्र (अनेक विषय) एवं लेख अंतर्राष्ट्रीय-राष्ट्रीय पत्रिकाओं और पुस्तकों में प्रकाशित हुए हैं। आपकी रुचि का क्षेत्र-हिंदी, अंग्रेजी और बांग्ला में कविता लेखन, पाठ, लघु कहानी लेखन, मूल उद्धरण लिखना, कहानी सुनाना है। विविध कलाओं में पारंगत डॉ. चक्रवर्ती शैक्षणिक गतिविधियों के लिए कई संस्थाओं में सक्रिय सदस्य हैं तो सामाजिक गतिविधियों के लिए रोटरी इंटरनेशनल आदि में सक्रिय सदस्य हैं।