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राष्ट्रीय चरित्र और स्वस्थ राजनीति के सूत्रधार रहे प्रभात झा

ललित गर्ग

दिल्ली
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पत्रकारिता के एक पुरोधा पुरुष, मजबूत कलम एवं निर्भीक वैचारिक क्रांति के सूत्रधार, उत्कृष्ट राष्ट्रवादी, भाजपा नेता और भाजपा मुखपत्र ‘कमल’ के मुख्य सम्पादक प्रभात झा अब नहीं रहे। वे ६७ वर्ष की उम्र में अस्पताल में जिन्दगी एवं मौत के बीच जूझते हुए हार गए। एक संभावनाओं भरा हिन्दी पत्रकारिता, स्वच्छ राजनीति एवं राष्ट्रीय विचारों का सफर ठहर गया, उनका निधन न केवल पत्रकारिता, भारत की राष्ट्रवादी सोच के लिए बल्कि भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रवादी राजनीति पर गहरा आघात है, अपूरणीय क्षति है। प्रभात झा का जीवन सफर आदर्शों एवं मूल्यों की पत्रकारिता की ऊँची मीनार है।
प्रभात झा लेखक रहे हैं, वहीं राजनीतिक जीवन भी प्रेरक रहा हैं। मध्य प्रदेश से राज्यसभा के सदस्य और मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष रहे। यही वो दौर रहा, जिसमें मध्यप्रदेश में भाजपा की जमीन गहरी हुई। वर्तमान में वे पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे। उनके करीबियों का कहना है कि, वह शुरू से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा से खास जुड़ाव रखते थे। उन्होंने अपने भविष्य की शुरुआत पत्रकारिता से की। दैनिक स्वदेश अखबार में भी लंबे समय तक जुड़े रहे।
मेरा सौभाग्य रहा कि, मुझे प्रभात झा से मिलने के अनेक अवसर मिले। नार्थ एवेन्यू में सुखी परिवार फाउण्डेशन के अस्थायी कार्यालय से सटा हुआ उनका आवास था। अभियान के प्रणेता संत गणि राजेन्द्रविजयजी के पास वे अक्सर आ जाते एवं राष्ट्र-विकास और समाज-निर्माण की चर्चाएं होती रहती थी। वे आदिवासी कल्याण के लिए सुझाव देते रहते थे।
प्रभात झा जितने सफल जननायक थे, उतने ही प्रखर लेखक थे। उन्हें निर्भीक विचारों, स्वतंत्र लेखनी और बेबाक राजनीतिक टिप्पणियों के लिए जाना जाता रहा है। अपने निर्भीक लेखन से वे काफी लोगों के चहेते थे। वे न केवल अपने वैचारिक आलेखों के जरिए राष्ट्र की ज्वलंत समस्याओं की सशक्त तरीके से प्रस्तुति देते रहे, बल्कि गरीबों, अभावग्रस्तों व पीड़ितों की आवाज बनते रहे। आपने चौथे स्तंभ को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे चित्रता में मित्रता के प्रतीक थे तो गहन मानवीय चेतना के चितेरे जुझारु, निडर, साहसिक एवं प्रखर व्यक्तित्व थे।
लाखों-लाखों की भीड़ में कोई-कोई प्रभात झा जैसा विलक्षण एवं प्रतिभाशाली व्यक्ति जीवन-विकास की प्रयोगशाला में विभिन्न प्रशिक्षणों-परीक्षणों से गुजर कर महानता का वरण करता है, विकास के उच्च शिखरों पर आरूढ़ होता है और अपनी मौलिक सोच, कर्मठता, कलम, राष्ट्र-भावना से समाज एवं राष्ट्र को अभिप्रेरित करता है। उन्होंने आदर्श एवं संतुलित समाज निर्माण के लिए कई नए अभिनव दृष्टिकोण, सामाजिक सोच और कई योजनाओं की शुरूआत की। देश और देशवासियों के लिए कुछ खास करने का जज्बा उनमें कूट-कूट कर भरा था। वे समाज के लिए पूरी तरह समर्पित थे।
प्रभात झा एक ऐसे जीवन की दास्तान है, जिन्होंने अपने जीवन को बिन्दु से सिन्धु बनाया है।
प्रभात जी के जीवन कथानक को देखते हुए सुखद आश्चर्य होता है एवं प्रेरणा मिलती है कि, किस तरह से दूषित राजनीतिक परिवेश एवं आधुनिक युग के संकुचित दृष्टिकोण वाले समाज में जमीन से जुड़कर आदर्श जीवन जिया जा सकता है। उन्होंने व्यापक संदर्भों में जीवन के सार्थक आयामों को प्रकट किया है। वे आदर्श जीवन का एक अनुकरणीय उदाहरण हैं।
वे एक राजनीतिज्ञ के रूप में सदा दूसरों से भिन्न रहे। घाल-मेल से दूर और भ्रष्ट राजनीति में बेदाग।भारतीय राजनीति की बड़ी विडम्बना रही है कि, आदर्श की बात सबकी जुबान पर है, पर मन में नहीं। उड़ने के लिए आकाश दिखाते हैं, पर खड़े होने के लिए जमीन नहीं। ऐसी निराशा, गिरावट व अनिश्चितता की स्थिति में प्रभात जी ने राष्ट्रीय चरित्र, उन्नत जीवन शैली और स्वस्थ राजनीति प्रणाली के लिए बराबर प्रयास किया। वे व्यक्ति नहीं, नेता नहीं, बल्कि विचार एवं मिशन थे। उनका निधन एक आदर्श एवं बेबाक सोच की पत्रकारिता का अंत है। वे सिद्धांतों एवं आदर्शों पर जीने वाले व्यक्तियों की श्रृंखला के प्रतीक थे।

बेशक, प्रभात जी अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन अपने सफल जीवन के दम पर हमेशा आसमान में टिमटिमाते रहेंगे।