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विनती है प्रभु

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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विनती है प्रभु आपसे,रखना मेरा ध्यान।
नेक राह पर मैं चलूँ,मिले मान सम्मान॥
मिले मान सम्मान,सदा तेरा गुन गाऊँ।
पूजन अर्चन नाथ,करूँ माँगू जो पाऊँ॥
कहे ‘विनायक राज’,प्रार्थना करके गिनती।
हे प्रभु दीन दयाल,सुनो अब मेरी विनती॥

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