कवि सम्मेलन…
पटना (बिहार)।
हिन्दी, संस्कृत और बांगला भाषाओं के उद्भट विद्वान पं. हंस कुमार तिवारी अनुवाद-साहित्य के महान उन्नायकों में परिगणित होते हैं। इन्होंने बंगला साहित्य का हिन्दी में अनुवाद के साथ ही कई अनेक मौलिक साहित्य का सृजन कर हिन्दी का भंडार भरा। राष्ट्रभाषा परिषद, बिहार के मिदेशक के रूप में उनके कार्यों को आज भी स्मरण किया जाता है। वहीं चंपारण सत्याग्रह के प्रथम ध्वजवाहकों में से एक पीर मुहम्मद मूनिस हिन्दी-सेवा के लिए याद किए जाते हैं। समाज के क्षरण को रोकने का सामर्थ्य साहित्यकारों में ही है और दायित्व भी उन्हीं का है।
यह बातें बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित स्वतंत्रता दिवस-सह-जयंती समारोह की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में देश के साहित्यकारों की अग्रणी भूमिका रही। साहित्य सम्मेलन भवन आंदोलन के केंद्र में रहा।
डॉ. सुलभ ने कहा कि संसार में जितनी भी क्रांतियाँ हुई, वह साहित्यकारों की लेखनी की उपज थीं। वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर, अभिजीत कश्यप, आनन्द किशोर मिश्र तथा संजय कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर राष्ट्रभक्ति कवि सम्मेलन का आरंभ चंदा मिश्र ने वाणी-वंदना से किया। वरिष्ठ कवि दिनेश्वर लाल दिव्यांशु, डॉ. प्रतिभा रानी, डॉ. पूनम आनन्द, जय प्रकाश पुजारी, डॉ. एम.के. मधु और अजित भारती आदि ने अपने गीतों से अमर बलिदानियों को नमन किया। मंच का संचालन कवि ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने किया।