हिन्दी प्रशिक्षण…
हैदराबाद (तेलंगाना)।
यह दौर सूचना प्रौद्योगिकी का दौर है। एनईपी का दौर है। इससे पूर्व शिक्षक एवं विद्यार्थी के बीच के संबंधों को ज्यादा ध्यान दिया जाता था, किंतु अब उन दोनों के बीच एक और आयाम जुड़ गया है-वह है प्रौद्योगिकी। आज दुनिया कृत्रिम बुद्धि की ओर जा रही है। संरचनात्मक भाषा विज्ञान पढ़ाने की ओर आज हम आगे बढ़ रहे हैं। अध्यापकों को इस दिशा में आगे बढ़ना होगा। इस दिशा में केंद्रीय हिंदी संस्थान सीखने एवं सिखाने का कार्य कर धन्य अनुभव कर रहा है।
यह बात मुख्य अतिथि पूर्व समकुलपति (हैदराबाद विवि, हैदराबाद) प्रो. आर. एस. सर्राजु ने कही। अवसर रहा केंद्रीय हिंदी संस्थान (आगरा) के हैदराबाद केंद्र द्वारा महाराष्ट्र राज्य के बीड़ जिले के माध्यमिक विद्यालय के हिंदी अध्यापकों के प्रशिक्षण हेतु ४७७वें नवीकरण पाठ्यक्रम के समापन समारोह का। शनिवार को आयोजित इस समारोह की अध्यक्षता संस्थान के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी ने की।
पाठ्यक्रम संयोजक एवं क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे, विशिष्ट अतिथि डॉ. रणजीत भारती, डॉ. रचना चतुर्वेदी, अतिथि प्रवक्ता एवं कार्यालय अधीक्षक डॉ. एस. राधा मंच पर उपस्थित रहे। पाठ्यक्रम में कुल २५ हिंदी अध्यापक प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया था।
इस अवसर पर आभासी मंच से प्रो. कुलकर्णी ने कहा कि मुझे पूर्व विश्वास है कि इस नवीकरण पाठ्यक्रम के दौरान आपने जो कुछ पाया, जो कुछ सीखा, अभिव्यक्त किया, जो बोध आपको मिला, वह आप अपनी पाठशाला में जाकर अपने छात्रों को अवश्य देंगे। हिंदी को संपर्क भाषा से विश्व भाषा तक ले जाने का मार्ग सशक्त करने में जितना सहयोग हिंदी भाषियों का है, उससे सौ गुणा अधिक हिंदीतर भाषियों का रहा है। शिक्षक यदि गलती नहीं करेगा तो छात्र भी गलती नहीं करेगा।
अतिथि डॉ. भारती ने कहा कि जो कुछ आपने इस नवीकरण पाठ्यक्रम में सीखा है उसे सीधा अपने जीवन में लागू करें। श्रीमती चतुर्वेदी ने कहा कि जो आपने इस नवीकरण पाठ्यक्रम में सीखा है, वह आपके शिष्यों को प्राप्त होना चाहिए, नया करते रहना है, नया सीखना है। यही जीवन का मूल मंत्र है। डॉ. राधा ने कहा कि आप भाषा के अध्यापक हैं। भाषा के अध्यापक के नाते आपकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है, क्योंकि देश की संस्कृति, सभ्यता को संजोकर रखने में आपकी अहम भूमिका है। प्रो. वानोडे ने कहा कि महाराष्ट्र में हिंदी भाषा प्रचलित है। फिर भी मराठी भाषी एवं हिंदीतर भाषियों में मातृभाषा का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है। इससे छुटकारा पाने के लिए हमें हर रोज कम-से-कम आधा घंटा दूरदर्शन पर समाचार सुनना चाहिए। उच्चारण कैसे कर रहे हैं, सीखना चाहिए। हिंदी पुस्तकें पढ़नी चाहिए।
इस अवसर पर हस्तलिखित पत्रिका ‘बीड़-चंपावती नगर’ का विमोचन अतिथियों ने किया। पर-परीक्षण में प्रथम, द्वितीय, तृतीय स्थान एवं प्रोत्साहन पुरस्कार प्राप्त अध्यापकों को पुरस्कार वितरित किए गए। संचालन लहू चौहान एवं कोलेकर विजय ने किया। सुखसे ज्ञानदेव ने धन्यवाद ज्ञापित किया।