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तुम हो तो…

दृष्टि भानुशाली
नवी मुंबई(महाराष्ट्र) 
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हँसाने हेतु तुम हो
इसलिए हँसना चाहती हूँ,
अश्रु पोंछने हेतु तुम हो
तो रोना चाहती हूँ।

सुनने के लिए तुम हो
तो अल्फाज़ों के गीत गाना चाहती हूँ,
सुनाने के लिए तुम हो
तो लफ्जों की अंताक्षरी सुनना चाहती हूँ।

तालियों की बरसात करने हेतु तुम हो
इसलिए नृत्य करना चाहती हूँ,
वाद्य यंत्र बजाने हेतु तुम हो
इसलिए सुर छेड़ना चाहती हूँ।

मुझे निहारने के लिए तुम हो
इसलिए सजना-सँवरना चाहती हूँ,
मेरी ढाल बनकर खड़े हो
तो निडर आगे बढ़ना चाहती हूँ।

मेरी शिकायत करने हेतु तुम हो
इसलिए शरारतें करना चाहती हूँ,
मुझे समझाने हेतु तुम हो
इसलिए गलतियाँ करना चाहती हूँ।

सुनी कलाई पर तुम्हारी
मैं राखी बाँधना चाहती हूँ।
हर जनम तुम-सा भाई मिले तो
तम्हारी बहन बनने का सौभाग्य पाना चाहती हूँ॥

परिचय-दृष्टि जगदीश भानुशाली मेधावी छात्रा,अच्छी खिलाड़ी और लेखन की शौकीन भी है। इनकी जन्म तारीख ११ अप्रैल २००४ तथा जन्म स्थान-मुंबई है। वर्तमान पता कोपरखैरने(नवी मुंबई) है। फिलहाल नवी मुम्बई स्थित निजी विद्यालय में अध्ययनरत है। आपकी विशेष उपलब्धियों में शिक्षा में ७ पुरस्कार मिलना है,तो औरंगाबाद में महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते हुए फुटबाल खेल में प्रथम स्थान पाया है। लेखन,कहानी और कविता बोलने की स्पर्धाओं में लगातार द्वितीय स्थान की उपलब्धि भी है,जबकि हिंदी भाषण स्पर्धा में प्रथम रही है।

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