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प्रो. शुक्ल की १०८ लघुकथाएं रुद्राक्ष माला की तरह बहुमूल्य

इंदौर (मप्र)।

इस संग्रह की लघुकथाएँ जीवन के, समाज के विविध विषयों से साक्षात्कार कराती हैं। संवेदनशीलता इन लघुकथाओं की अभिव्यक्ति का माध्यम बनी है। रुद्राक्ष माला की तरह प्रो. शुक्ल की १०८ लघुकथाएं बहुमूल्य हैं।
संस्था अखंड संडे के तत्वावधान में लघुकथाकार प्रो. योगेन्द्रनाथ शुक्ल (इंदौर) की पंजाबी भाषा में अनुवादित कृति ‘बदल दे नायक’ का आभासी लोकार्पण करते हुए यह विचार वरिष्ठ साहित्यकार प्रतापसिंह सोढ़ी ने व्यक्त किए।
इस दौरान अमृतसर से संपादक जगदीश रॉय कुलरियाँ ने कहा कि इस संग्रह की रचनाएँ आम आदमी की बेबसी का यथार्थ चित्र प्रस्तुत करती हैं और प्रत्येक रचना कोई न कोई संदेश अवश्य देती है। चर्चाकार पिलकेन्द्र अरोड़ा (उज्जैन) ने कहा कि इस संग्रह की रचनाएं विभिन्न घटनाओं और
संवादों के माध्यम से सत्य से साक्षात्कार कराती हैं। कनाडा से अनुवादक जगदीप कौर नूरानी ने भी अपनी भावना व्यक्त की।
कृति के मूल लेखक डॉ. शुक्ल ने कहा कि अनुवाद साहित्य का ऐसा अंग है, जो अपने अंतस में विशुद्ध एक विश्व एक परिवार की भावना रखता है। २ देशों और २ भाषाओं के लोगों को नजदीक लाता है, उनसे आत्मीय संबंध स्थापित करता है।

संस्था के मुकेश इन्दौरी सहित साहित्यकार डॉ. पदमा सिंह, डॉ. रवीन्द्र पहलवान, डॉ. रमेश गुप्त मिलन, विनु जमुआर व नीति अग्निहोत्री आदि इसमें उपस्थित रहे।