डॉ. मुकेश ‘असीमित’
गंगापुर सिटी (राजस्थान)
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‘अजातशत्रु’ अटल जी…
अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के वह सितारे हैं, जिनकी चमक समय के साथ और प्रखर होती गई। वे केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि कवि, साहित्यकार, पत्रकार और सामाजिक चिंतक थे। उनकी जीवन यात्रा भारतीय लोकतंत्र की शक्ति और उनकी व्यक्तिगत प्रतिबद्धता का प्रमाण है। एक साधारण विद्यालय शिक्षक के परिवार से निकलकर भारतीय राजनीति के शिखर तक पहुँचना उनकी प्रतिभा, परिश्रम और भारतीय लोकतंत्र की शक्ति का प्रतीक है। उन्होंने अपने जीवन में लोकतांत्रिक आदर्शों और मानवता को सर्वोपरि रखा। साहित्य और काव्य का बीज उन्हें पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी से मिला, जो स्वयं भी कवि थे। राजनीति में प्रवेश करने से पहले अटल जी एक कवि के रूप में प्रसिद्ध थे। उनकी कविताएँ उनकी संवेदनशीलता, विचारशीलता, और जनमानस से जुड़े रहने की क्षमता को दर्शाती हैं। उनकी प्रसिद्ध कविता “हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा” उनकी जुझारू भावना का प्रतीक है। उनके शब्द न केवल प्रेरणा देते थे, बल्कि लोगों के भीतर छिपे साहस को जागृत भी करते थे।
उनका जीवन संघर्ष, समर्पण और सादगी का अनुपम उदाहरण है। अटल जी को भारतीय राजनीति में ‘अजात शत्रु’ के रूप में याद किया जाता है-एक ऐसा व्यक्तित्व, जो अपने धैर्य, वाणी और दृष्टिकोण से विरोधियों को भी अपना बना लेता था।
भाजपा को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने और उदारवादी पहचान देने में अटल जी की भूमिका अहम रही। वे हिंदुत्व की विचारधारा से जुड़े होते हुए भी समावेशी राजनीति के समर्थक थे। उनके नेतृत्व में भाजपा ने विभिन्न विचारधाराओं वाली पार्टियों को साथ लाकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की नींव रखी। उनके करिश्माई व्यक्तित्व और संवाद क्षमता ने जॉर्ज फर्नांडिस, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान और शरद यादव जैसे नेताओं को भी साथ आने के लिए प्रेरित किया। उनकी नेतृत्व क्षमता, भाषण कला व सर्वसम्मति बनाने की कुशलता ने उन्हें राष्ट्रीय राजनीति का प्रमुख चेहरा बनाया। जनता पार्टी सरकार में विदेश मंत्री के रूप में उन्होंने भारत की प्रतिष्ठा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ाया। अटल जी के विदेशी दौरों ने भारत को विश्व राजनीति में एक नयी पहचान दी।
प्रधानमंत्री के रूप में भी उनका कवि हृदय कभी फीका नहीं पड़ा। उनकी कविताएँ राजनीति के शोर-शराबे के बीच एक सुकून भरी हवा की तरह थीं। उनकी कविता “गीत नया गाता हूँ” उनके नवाचार और सकारात्मक दृष्टिकोण का प्रतीक है।
अटल जी ‘जननेता’ थे, जो हर वर्ग, समाज और व्यक्ति के दिल में जगह बना सके। वे अपने राजनीतिक विश्वासों में अटल थे, चाहे समय कितना भी प्रतिकूल क्यों न हो, उन्होंने हमेशा भारतीयता और लोकतंत्र के मूल्यों को अपने निर्णयों का आधार बनाया। अटल बिहारी वाजपेयी का संसदीय कार्यकाल अद्वितीय था। वे ९ बार लोकसभा और २ बार राज्यसभा के सदस्य रहे। भारतीय संसदीय इतिहास में उनका यह योगदान एक अभूतपूर्व उदाहरण है। उन्हें ‘भारत के सर्वश्रेष्ठ सांसद’ के रूप में सम्मानित किया गया। उनकी भाषण शैली ने न केवल सदस्यों को प्रभावित किया, बल्कि जनता के बीच उन्हें और लोकप्रिय बनाया।
प्रधानमंत्री के रूप में उपलब्धियाँ देखें तो अटल जी ३ बार भारत के प्रधानमंत्री बने। उनके नेतृत्व में देश ने आर्थिक, सैन्य और सामाजिक क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल कीं, जिसमें पोखरण परमाणु परीक्षण ने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश बना दिया। यह अटल जी का साहसिक कदम था, जिसे अंतरराष्ट्रीय दबावों के बावजूद सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया।
अटल जी महिला सशक्तिकरण और सामाजिक समानता के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने हमेशा भारत को एक सशक्त, समृद्ध और आत्मविश्वास से भरा देश बनाने का सपना देखा।
अटल जी को भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्म विभूषण’ से नवाजा गया। यह सम्मान उनके अद्वितीय योगदान और राष्ट्र के प्रति उनकी निस्वार्थ सेवा का प्रमाण है। उनका पूरा जीवन राष्ट्रभक्ति और जनसेवा को समर्पित रहा।
आज की राजनीति में जब विभाजन और कटुता बढ़ रही है, तब अटल जी की समावेशी राजनीति और लोकतांत्रिक आदर्श एक मार्गदर्शक की तरह हैं। उनके विचार और नेतृत्व आधुनिक भारत को बेहतर बनाने में प्रेरणा प्रदान करते हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति में उस आदर्श का प्रतीक हैं, जिसमें सत्ता सेवा का माध्यम होती है और राजनीति में भी संवेदनशीलता और नैतिकता का स्थान होता है। उनकी बहुमुखी प्रतिभा और अटल संकल्प ने भारत को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया। अटल जी के समय की राजनीति और आज की राजनीति में एक बड़ा अंतर उनके संवाद शैली और विरोधियों के प्रति उनके दृष्टिकोण में देखा जा सकता है। अटल जी ने कभी भी कटुता को राजनीति का हिस्सा नहीं बनने दिया। वे अपने विरोधियों के साथ भी आदर और सम्मान के साथ व्यवहार करते थे। अटल बिहारी वाजपेयी आज भी इसलिए प्रासंगिक हैं, क्योंकि उन्होंने सिद्ध किया कि राजनीति केवल सत्ता का खेल नहीं, बल्कि जनसेवा का माध्यम है। अटल जी भले ही आज हमारे बीच न हों, लेकिन उनके कार्य उन्हें अमर बनाए रखते हैं। उनका नाम हमेशा भारतीय राजनीति के स्वर्णिम पृष्ठों में चमकता रहेगा।