ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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अद्भुत है पहाड़ पहरी,
केदारनाथ जी हिमगिरि…
बद्रीनाथ जी धाम है,
अलौकिक रूप प्रणाम है…।
जम्मू में त्रिकुटा पावन,
वैष्णो माता मनभावन…
स्वर्ण मंदिर बार्डर बाघा,
अमृतसर गौरव गाथा…।
हरिद्वार गंगा मैया,
धर्म ध्वजा शीतल छैंया…
वृन्दावन, बरसान अवध,
काशी बनारस गंगा तट…।
चित्रकुट मैहर की माता,
महाकाल भाग्य विधाता…
झांसी, ओरछा, ग्वालियर,
इंदौर से ओंकारेश्वर…।
तिरूमाला का तिरुमंदिर,
जा छंटता मन घोर तिमिर…
सुंदर विशाखापट्टनम,
देख हुआ मन मुग्ध मगन…।
राम सेतु भीतर समुंदर
अति ही पावन है अंदर…
मदुराई और रामेश्वर,
साक्षात यहाँ परमेश्वर…।
पुरी विराजे जगन्नाथ जी,
भक्तन सिर रखे हाथ जी…
नेपाल छटा अति रमणीक,
पशुपति जहाँ वो है माणिक…।
अमरनाथ विकट घाटी,
मारे मन देख गुलाटी…
काश्मीर में डल शिकारा,
मन मोहे अजब नजारा…।
ताजमहल है अति सुंदर,
देख लो आगरा जाकर…
रंगनाथ जी खाटू श्याम,
सबके बनाए बिगड़े काम…।
जयपुर का वो हवामहल,
ये देखो यह चहल-पहल…
सोमनाथ द्वारकाधीश,
श्र्द्धा से झुकाया शीश…।
फैला सागर ही सागर,
गोआ वहाँ बना गागर…
बाम्बे का मजा निराला,
सागर में धँसा ज्यों प्याला…।
नासिक-शिर्डी भी देखा,
खुल गया भाग्य का लेखा…
दिल्ली का ये लाल किला,
देख मजा तो बहुत मिला…।
बम्लेश्वरी, चंद्रहासिनी,
प्रयाग संगम विध्यवासिनी…।
मैनपाट, बस्तर फिर घूमा,
छत्तीसगढ़ी माटी को चूमा…॥
परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।