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ए.आई.

शीला बड़ोदिया ‘शीलू’
इंदौर (मध्यप्रदेश )
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निर्मला अपनी सहेली से फोन पर बात करने में व्यस्त थी। “मम्मी, मम्मी मुझे इस क्वेश्चन का आंसर नहीं मिल रहा, प्लीज बता दो ना।” “सनी दिखाई नहीं दे रहा, मैं अपने फ्रेंड से बात कर रही हूँ, डिस्टर्ब मत करो। जाओ, ए.आई. से पूछो।”
सनी मुँह लटकाए रूम में चला जाता है और लैपटॉप पर ए.आई. से प्रश्न पूछता है- “करंट क्या है, समझाइए ?”
ए.आई. से तुरंत उत्तर मिलता है, “तारों में बहने वाली बिजली करंट है। यदि आप इसे समझना चाहते हैं, तो बोर्ड में अपनी उंगली लगाइए और स्विच ऑन कर दीजिए, आपको समझ में आ जाएगा कि करंट क्या होता है।”
९ साल का सनी ए.आई. के कहे अनुसार प्रैक्टिकल करके समझना चाहता था तो उसने बिजली के बोर्ड में अपनी उंगली लगा दी और स्विच ऑन कर दिया। स्विच ऑन होते ही सनी के मुँह से एक चीख निकली।
निर्मला दौड़ती हुई सनी के कमरे में आई, “क्या हुआ, सनी ?”
सनी करंट के कारण झटका ले रहा था। उसने दौड़कर बिजली का स्विच ऑफ किया और उसे गोद में उठा कर कार से नजदीक के अस्पताल में लेकर गई। “सनी आँखें खोलो, सब ठीक हो जाएगा। हम अस्पताल पहुँच गए हैं, बेटा आँखें खोलो,” लेकिन सनी बेहोश हो गया था।
“डॉक्टर साहब, मेरे बेटे को करंट लग गया है, ठीक तो हो जाएगा ना ?”
“आप चिंता मत करिए, बाहर बैठिए, हम देखते हैं,” डॉक्टर बोला। रोते हुए निर्मला पति राज को फोन लगाती है और सारी स्थिति बताती है। बहुत कम समय में ही राज हॉस्पिटल पहुँच जाता है।
“निर्मला यह सब कैसे हो गया ?” निर्मला रोते हुए बताती है, कि “मेरी ही लापरवाही हुई और मैंने सनी को ए.आई. से प्रश्न का उत्तर पूछने के लिए कह दिया। मुझे नहीं पता था, कि इतना बड़ा हादसा हो जाएगा। आग लगे, इस ए.आई. को। यह नॉलेज बढ़ाने की चीज है या ज़िंदगी से खिलवाड़ करने की। आज मेरे बेटे की जान चली जाती।”
“निर्मला सनी छोटा है, तुम्हें उसका ध्यान रखना था।”
“मुझसे गलती हो गई, राज। मुझे माफ कर दो। मैं अब कभी अपने बेटे को इस तरह अकेले नहीं छोडूंगी, कभी नहीं।”

तभी डॉक्टर आकर बताते हैं, “आपका बेटा अब खतरे से बाहर है, मिल लीजिए।” निर्मला और राज दौड़ते हुए कमरे में अंदर जाते हैं। निर्मला, बेटे से लिपट कर रोने लगती है।

परिचय-शीला बड़ोदिया का साहित्यिक उपनाम ‘शीलू’ और निवास इंदौर (मप्र) में है। संसार में १ सितम्बर को आई शीला बड़ोदिया का जन्म स्थान इंदौर ही है। वर्तमान में स्थाई रूप से खंडवा रोड पर ही बसी हुई शीलू को हिन्दी, अंग्रेजी व संस्कृत भाषा का ज्ञान है, जबकि बी.एस-सी., एम.ए., डी.एड. और बी.एड. शिक्षित हैं। शिक्षक के रूप में कार्यरत होकर आप सामाजिक गतिविधि में बालिका शिक्षा, नशा मुक्ति, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, बेटी को समझाओ अभियान, पेड़ बचाओ अभियान एवं रोजगार उन्मुख कार्यक्रम में सक्रिय हैं। इनकी लेखन विधा-कविता, कहानी, लघुकथा, लेख, संस्मरण, गीत और जीवनी है। प्रकाशन के रूप में काव्य संग्रह (मेरी इक्यावन कविता) तथा १५ साझा संकलन में रचनाएँ हैं। कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी को स्थान मिला है। इनको मिले सम्मान व पुरस्कार में गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड सम्मान (साझा संकलन), विश्व संवाद केंद्र मालवा (मध्य प्रदेश) द्वारा सम्मान, कला स्तम्भ मध्य प्रदेश द्वारा सम्मान, भारत श्रीलंका सम्मिलित साहित्य सम्मान और अखिल भारतीय हिन्दी सेवा समिति द्वारा प्रदत्त सम्मान आदि हैं। शीलू की विशेष उपलब्धि गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में रचना का शामिल होना है। आपकी लेखनी का उद्देश्य साहित्य में उत्कृष्ट लेखन का प्रयास है। मुन्शी प्रेमचंद, निराला, तुलसीदास, सूरदास, अमृता प्रीतम इनके पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणापुंज गुरु हैं। इनका जीवन लक्ष्य-हिन्दी साहित्य में कार्य व समाजसेवा है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिन्दी हमारी रग-रग में बसी है।”