पद्मा अग्रवाल
बैंगलोर (कर्नाटक)
************************************
“सॉरी, आई ऐम लेट।”
लगभग ५० वर्षीय सुंदर महिला, जिसने पिंक साड़ी के साथ मैचिंग झुमके पहने हुए थे, अपने पर्स को टेबिल पर रखते हुए बोलीं…
“अरे, आप कितनी देर से मेरे इंतजार में बैठे हुए हैं ?”
सामने टेबिल पर बेकरारी से उनका इंतजार कर रहे मलय जी बोले, “आखिर तुम आ गई, वह भी मेरे लिए… इसलिए, आई एम थैंकफुल… वैसे सच कहूँ तुम पूरे ३० मिनिट्स लेट हो…।”
वह कुछ बोलना चाहती थी, तभी मलय अपने होंठों पर उँगली रख कर चुप रहने का इशारा करते हैं, “मन्नो प्लीज, आज तुम मुझे तुम्हारे चेहरे को नजर भर कर देख लेने दो।”
वह असहज हो उठी और बात बदलते हुए बोली, “अब कॉफी मँगाओगो, कि यूँ ही बातें बनाते रहोगे। अपनी दोस्ती के पूरे ५ साल हो गए, तुम जानते हो कि मुझे यहाँ की कॉफी बहुत पसंद है।”
“कैसी दोस्त हो ? ये नहीं कह सकतीं कि तुम्हारे साथ बैठकर कॉफी पीना पसंद है।”
“तुम समझते क्यों नहीं! मेरा परिवार है… हमें एक मर्यादा में रह कर दोस्ती निभाना है।”
“उफ यार! क्या मर्यादा केवल महिलाओं के लिए ही होती है ?
मन्नो, क्या हमारी पाक़-साफ दोस्ती भी समाज की नजर में गलत है… हम दोस्त हैं, लेकिन दिल से जुड़े हैं… मैं तुमसे आई लव यू कहने को तो नहीं बोल रहा। केवल यह सुनना चाहता हूँ, कि मलय मुझे तुम्हारे साथ अच्छा लगता है। जब तुम अपनी किसी सहेली से यही बात बार-बार कह सकती हो, तो तुम्हें मुझसे कहने में इतनी हिचक क्यों ?”
“बहस मत करो… तुम जो सुनना चाहते हो, वह मैं कभी नहीं कह सकती।”
“ठीक है, तो फिर आज ही हम दोनों की दोस्ती का आखिरी दिन होगा।”
मलय बोला-“मन्नो पिछले ५ साल की दोस्ती में हम लोगों ने रिश्तों की मर्यादा नहीं तोड़ी, बस हम दोनों को लिखने-पढ़ने का शौक है, एक-दूसरे से बात करना अच्छा लगता है।”
अच्छा छोड़ो… कॉफी के साथ क्या लेना है ?”
“कुछ भी नहीं… किस तरह से मुश्किलों से कॉफी पीने आ पाई हूँ, और तुम हो कि जब देखो तब लड़ने लगते हो!”
“क्या कहा मन्नो ?”
“तुम्हारे साथ कॉफी पीने आई हूँ, ओहो थैंक गॉड… तुम मेरी इच्छानुसार नहीं बोलोगी।”
“ये गलत है यार।”
अपनी पॉकेट से गुलाब का फूल निकाल कर देते हुए बोला-“, हैप्पी वैलेंटाइन डे…।
कहो कैसा लगा मेरा सरप्राइज? “
“यदि आज आप एक दोस्त बन कर मुझसे न मिलते, तो मैं आपसे कभी बात ही नहीं करती।”
“मलय आई लव यू…।”
“माई डियर मालिनी, तुम तो मेरी अर्धांगिनी हो…।”
“उफ पापा, आपने तो मेरे डॉयलॉग को गुड़-गोबर कर दिया।”
किशोर बच्चों को सामने देख एक पल को मालिनी सकुचा उठीं थी।
“पापा, मुझे थैंक्स कहिए, मम्मा को साड़ी में अच्छी तरह तैयार करके यहाँ भेजने के लिए। ओ.के. मम्मा-पापा, आप लोग अपने वैलेंटाइन गिफ्ट को शेयर कीजिए। आज नो ऑफिस… नो घर के काम… आज आप लोग पूरा दिन एक-दूसरे के साथ बिताइए। आज का डिनर मैं बनाऊँगी। अब डिनर पर मिलते हैं। हैप्पी वैलेंटाइन डे।”