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मोटापा:शुद्धता एवं गुणवत्ता से समझौता न हो

ललित गर्ग

दिल्ली
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शासन में भारतीय लोगों के स्वास्थ्य को लेकर निरन्तर कदम उठाते हुए स्वस्थ भारत निर्मित करने के उपक्रम किए हैं। मोदी जी ने स्वास्थ्य के प्रति भारत के दृष्टिकोण में एक महत्वपूर्ण मोड़ को चिह्नित करते हुए मोटापे से जुड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों को बताने और मोटापे को नियंत्रित करने पर अधिक ध्यान देते हुए एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया है, जिसमें भारतीयों से अपने खाना पकाने के तेल की खपत को कम करने का आग्रह किया है।

दरअसल, मोटापा जीवन-शैली से जुड़ी कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है, जैसे दिल की बीमारी, आघात, मधुमेह, साँस लेने में समस्याएं और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं (चिंता, तनाव और अवसाद) आदि।
एक अध्ययन के मुताबिक आज हर ८ में से १ व्यक्ति मोटापे की समस्या से परेशान है। बीते सालों में मोटापे के मामले दोगुने हो गए हैं, लेकिन इससे भी ज्यादा चिंता की बात है कि बच्चों में भी मोटापे की समस्या ४ गुना बढ़ गई है। मोटापे को नियंत्रित करने की मुहिम एक सामयिक एवं सराहनीय कदम होने के साथ स्वास्थ्य-क्रांति का आधार है।
प्रधानमंत्री ने सेहत के प्रति इस क्रम में मोटापे से लड़ने के लिए अपने-अपने क्षेत्र के १० जाने-माने लोगों को नामांकित कर रेखांकित किया कि इस समस्या की गंभीरता को नियंत्रित करने की अपेक्षा है। उन्होंने आनंद महिंद्रा, दिनेश लाल यादव निरहुआ, मनु भाकर, मीराबाई चानू, मोहनलाल, नंदन नीलेकणि, उमर अब्दुल्ला, आर. माधवन, श्रेया घोषाल व सुधा मूर्ति को नामांकित करते हुए अपेक्षा जताई कि ये सभी लोगों में जागरूकता पैदा करेंगे।
मोटापा वर्तमान युग की एक व्यापक स्वास्थ्य समस्या है, जो कई असाध्य बीमारियों का कारण बन सकती है और जीवन को छोटा कर सकती है। दुनियाभर में मोटापे के शिकार १ अरब से ज्यादा लोगों में ८८ करोड़ लोग वयस्क हैं, जबकि १५.९० करोड़ बच्चे हैं। महिलाओं में मोटापा बढ़ने की सबसे तेज़ गति देखने को मिल रही है। आज मोटापा समस्या नहीं महामारी बन गया है। इसने भुखमरी को भी पीछे छोड़ दिया है। भूखमरी से जितनी मौतें होती हैं, उससे कई ज्यादा मौतों की वजह अब मोटापा है। प्रतिवेदन के अनुसार दुनिया में ५ से ९ साल के बीच के १३.१ करोड़ बच्चे, किशोरावस्था वाले २०.७ करोड़ और २०० करोड़ वयस्क लोग मोटापे के शिकार हैं।
अच्छी सेहत के बिना जीवन का कोई महत्व नहीं है, सेहत ठीक नहीं होगी तो व्यक्ति दुखी, तनावग्रस्त और रोगी बना रहता है। सेहत ही सबसे बड़ा धन है। ये बात जो लोग समझते हैं, वे बहुत सतर्क रहते हैं। अच्छे स्वास्थ्य की सबसे बड़ी बाधा मोटापा है, जब कोई व्यक्ति ऊर्जा के रूप में उपयोग की जाने वाली कैलोरी से अधिक का उपभोग करता है, तो शरीर अतिरिक्त कैलोरी को वसा के रूप में संग्रहित कर लेता है। इसी से मोटापा पनपता है।
आजकल की जीवन-शैली में अधिकतर लोग ९-१० घंटों तक एक जगह बैठकर काम करते हैं और शारीरिक गतिविधि न के बराबर करते हैं। इससे शरीर में जमा अतिरिक्त कैलोरी मोटापे के रूप में बदल जाती है। तनाव और नींद की कमी भी मोटापा बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होते हैं। इसके अलावा कुछ खाद्य पदार्थ, खाद्य तेल और पेय पदार्थ-विशेषकर वे जिनमें वसा और शर्करा की मात्रा अधिक होती है-वजन बढ़ाने की अधिक संभावना रखते हैं।
लोगों में मोटापा बढ़ने के कई कारण हैं, जिनमें अति भोजन, अहितकर भोजन और प्रतिकूल भोजन के अलावा व्यायाम की कमी और तनाव शामिल हैं। पोषण में सुधार, गतिविधि बढ़ाने और जीवन-शैली में अन्य बदलाव करने से मोटापे को कम करने में मदद मिल सकती है। इसमें वांछित सफलता तभी संभव है, जब आम लोग यह समझेंगे कि स्वस्थ जीवन-शैली उन्नत राष्ट्र ही नहीं, उन्नत स्वास्थ्य का आधार है। मोटापे को नियंत्रित करने में योग, ध्यान, प्रातःभ्रमण एवं व्यायाम की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। किसी विचारक ने लिखा भी है कि “मनुष्य के सबसे बड़े चिकित्सक हैं-शांति, प्रसन्नता और खुराक।” यह हकीकत है कि लोग यदि खानपान में संयम एवं सतर्कता बरतें, शारीरिक सक्रियता बढ़ाएं और योग-व्यायाम को जीवन का हिस्सा बना लें तो मोटापे को भगा सकते हैं।
निरोगी लोग किसी भी देश के लिए एक बड़ी पूंजी होते हैं। जब शरीर स्वस्थ रहता है, तो लोग मानसिक एवं भावनात्मक रूप से भी स्वस्थ रहते हैं और अपना काम कहीं अधिक तत्परता एवं निपुणता से करते हैं। इसका लाभ केवल उन्हें ही नहीं, बल्कि परिवार, समाज और देश को भी मिलता है। यही सशक्त एवं विकसित भारत का आधार भी है।

इसके लिए जागरूकता अभियान छेड़ने के साथ ही मिलावटी और दोयम दर्जे की खाद्य सामग्री की बिक्री रोकने के लिए भी कुछ करना होगा। यह किसी से छिपा नहीं, कि अपने देश में बड़े पैमाने पर मिलावटी और दोयम दर्जे की खाद्य सामग्री बनती-बिकती है। इसमें खाद्य तेल की मात्रा ही अधिक नहीं, बल्कि वह मिलावटी होता है। आज जब बाजार का खाना खाने का चलन बढ़ रहा है, तब सरकार को यह सुनिश्चित करना ही चाहिए कि उसकी शुद्धता एवं गुणवत्ता से कोई समझौता न होने पाए। इसी अभिक्रम से भारत का जन-जन स्वस्थ शरीर, स्वस्थ मन और स्वस्थ भावनाओं का अखूट वैभव लिए शक्ति, स्फूर्ति, शांति, आनन्द एवं शारीरिक संतुलन से भरपूर दिव्य जीवन की यात्रा के लिए प्रस्थित हो सकता है।