राजबाला शर्मा ‘दीप’
अजमेर(राजस्थान)
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ऑपरेशन ‘सिंदूर’,
बहुत खूब
अब तो पता चला,
तुझे हैवान…
ओ पाकिस्तान!
बंद किया चिनाब का पानी,
समझा गीदड़ भभकी
अज्ञानी!
ललनानों का सिंदूर मिटाया,
होने वाला है तेरा सफाया,
क्यूँ घबराया ?
अब जान गया होगा,
चुटकी भर सिंदूर की कीमत
पर तुझे समझ कहाँ आता है ?
‘आँख का अंधा-नाम नयनसुख।’
आततायी नापाक,
न समझ खुद को पाक
जिसके दम पर तू कूद रहा है,
वह तुझे दूध में से मक्खी की तरह
निकाल कर फेंक देगा।
आज आई है हमारी बारी,
तुझे छठी का दूध याद दिला देंगे
खून के आँसू रुला देंगे,
तुझे कितना सबक सिखाया
बड़ा हठी,
तेरी समझ न आया।
रस्सी जली पर अकड़ न मिटी,
तेरी ये अकड़ मिटानी है।
तुझे नेस्तनाबूद करना है,
सौगंध ये हिन्दुस्तानी है॥
परिचय– राजबाला शर्मा का साहित्यिक उपनाम-दीप है। १४ सितम्बर १९५२ को भरतपुर (राज.)में जन्मीं राजबाला शर्मा का वर्तमान बसेरा अजमेर (राजस्थान)में है। स्थाई रुप से अजमेर निवासी दीप को भाषा ज्ञान-हिंदी एवं बृज का है। कार्यक्षेत्र-गृहिणी का है। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी, गज़ल है। माँ और इंतजार-साझा पुस्तक आपके खाते में है। लेखनी का उद्देश्य-जन जागरण तथा आत्मसंतुष्टि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-शरदचंद्र, प्रेमचंद्र और नागार्जुन हैं। आपके लिए प्रेरणा पुंज-विवेकानंद जी हैं। सबके लिए संदेश-‘सत्यमेव जयते’ का है।