सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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एक समय था जब शादियों में परम्परागत आयोजन भर हुआ करते थे। परिवार में सगे-संबंधियों एवं ख़ास मित्रों को ही स्थान मिल पाता था, पर अब तो रीति-रिवाज का स्थान धूम-धड़ाके एवं बनावटी रीति-रिवाजों ने ले लिया है। महँगी सजावट, ब्यूटी पार्लर तथा महँगे परिधान विवाह की आवश्यकता बनती जा रही है। एक-दूसरे से बराबरी करने का अनचाहा सामाजिक दबाव समय के साथ-साथ इस मानसिकता को कम करने की बजाय और बढ़ावा ही दे रहा है। परिस्थियाँ ऐसी बन गई हैं कि आम परिवार भी अपनी हैसियत से कहीं ज़्यादा धन शादी समारोहों पर लुटाने लगे हैं। दहेज का चलन कम होने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है। यही कारण है कि एक सामान्य परिवार का पिता बेटी के जन्म से ही उसके विवाह के लिए धन इकट्ठा करने का प्रयत्न करने लगता है। आवश्यकता है कि इस ओर लोगों का ध्यान आकर्षित किया जाए। कुछ लोग इस बात को समझ रहे हैं और शादी के इस दिखावे से दूर हैं।
कुछ दिन पूर्व ऐसी ही एक शादी में जाने का अवसर मिला। बड़ी ही सादगी से अपने पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार इस आयोजन ने अनायास ही लोगों के समक्ष एक उदाहरण प्रस्तुत किया, कि किस तरह हम अपनी जड़ों की ओर लौट सकते हैं। ऐसे आयोजनों से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से समाज के लोगों में ग़ैर-बराबरी और हीनता की सोच कम होती है।
हमारी संस्कृति में विवाह को १६ संस्कारों में से एक माना गया है। तभी तो यह बंधन आजीवन साथ निभाने वाला रिश्ता कहा गया है। सादगी से परिपूर्ण तथा दिखावे से दूर इस तरह के वैवाहिक आयोजन समाज को दिशा दिखाने वाले होते हैं। बिखरते सामाजिक मूल्यों और रिश्तों के इस परिवेश में आवश्यकता है कि रीति-रिवाज और आपसी मेल-जोल का पुराना भाव फिर लौटे। नई पीढ़ी को ये विवाह एक सार्थक संदेश भी देते हैं।
पूरी दुनिया के एक ओर हो जाने पर भी असत्य एवं अहितकर के आगे सिर न झुकाना ही मनुष्यता का गौरव है। लोग बुरा न कहें, अँगुली न उठाएँ, इसलिए हमें गलत बात को भी कर डालना चाहिए, यह कोई तर्क नहीं है। विवेक का तकाजा यही है, कि उचित को स्वीकार करने के सिवाय और सब-कुछ अस्वीकार कर दें। दुनिया के लोगों की भेड़-चाल प्रसिद्ध है। वह स्वयं तो जिस खाई-खन्दक की ओर चलती है, सो तो चलती ही रहती है, साथ में यह भी चाहती है कि दूसरे विवेकशील लोग भी उसका अनुगमन करें, और यदि वे वैसा नहीं करते तो उनकी आलोचना करते हैं।
अतः इस पर अवश्य सोचें और शादी को एक मांगलिक समारोह के रूप में सजा कर अपनी योग्यता और सूझ-बूझ का परिचय दें।