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उम्मीद

नरेंद्र श्रीवास्तव
गाडरवारा( मध्यप्रदेश)
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उम्मीद है किसान को,
इस साल बरसेगा पानी जम के
फसलें लहलहायेंगी खूब…।

उम्मीद है कौए को,
जलेबी खा रहे बच्चे के हाथ से
गिरेगा जलेबी का टुकड़ा…।

उम्मीद है चिड़िया को,
कमरे में टंगी हुई फोटो के पीछे
वह बना लेगी घोंसला…।

उम्मीद है भिखारी को,
कोई तरस खाकर देगा उसे भीख
और भर लेगा पेट…।

उम्मीद है यात्री को,
रास्ते में मिल ही जायेगी बस में बैठने की जगह
साँस ले सकेगा खुल के…।

उम्मीद है बच्चे को,
आसमान में उड़ती पतंगों में से
एक गिरेगी जरूर कट के,
और वह उठा लेगा उसे…।

उम्मीद है कर्मचारी को,
कोई न कोई माध्यम मिलेगा ऐसा
करा देगा स्थानांतरण गृह नगर का…।

उम्मीद है बुजुर्ग महिला को,
कोई न कोई भर देगा फार्म बैंक का
तब निकल जायेंगे रुपये…।

उम्मीद है मरीज को
आएगा नम्बर और देखेंगे डॉक्टर साहब उसे
ठीक हो जाएगा जल्दी…।

उम्मीद है पीड़ित को,
कोई तो सुनेगा फरियाद
भगवान बन के,
और दिलायेगा न्याय…।

उम्मीद है दुश्मन को,
कभी तो करेगा माफ और बुलाएगा
होंगे फिर से दोस्त…।

उम्मीद है उसे,
कभी तो जागेगा प्रेम मेरे लिये
और छुएगा मुझे…।

सच ही तो कहा है किसी ने,
उम्मीद पर टिका है आसमां॥

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