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मीठी-सी छुअन

पद्मा अग्रवाल
बैंगलोर (कर्नाटक)
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मीति और मधुर बचपन से एक ही स्कूल में पढ़ते थे। फिर मधुर के पिता का निधन हो गया तो वह सरकारी स्कूल में पढ़ने लगा था, परंतु गाहे-बगाहे मीति से उसकी नजरें मिल ही जातीं और दोनों के चेहरे पर अनायास मुस्कुराहट आ ही जाती। दोनों ने कॉलेज में एडमिशन ले लिया था।
अब मधुर के व्यक्तित्व के आकर्षण में मीति खोती जा रही थी। कई बार मधुर ने उसे आगाह भी किया था, कि मीति तुम एक रईस पिता की बेटी हो। मैं तो बिल्कुल साधारण परिवार से हूँ, जहाँ मुश्किल से गुजर-बसर होती है, लेकिन मीति तो मधुर के प्यार में डूब चुकी थी। वह कब मधुर के ख्यालों में बस गई थी, वह यह जान ही नहीं पाया था।
मीति कभी नोट्स तो कभी असाइनमेंट के बहाने उसके पास आ जाती। फिर कभी कॉफी तो कभी कोल्डड्रिंक या आइसक्रीम, ये सब तो उसका मधुर के साथ नजदीकियाँ बढ़ाने का बहाना था। अब मीति और मधुर क़ा इश्क़ कॉलेज में भी किसी से छिपा नहीं रह गया था…। उन दोनों का प्रेम प्रसंग प्रगाढ़ होता गया था। करोड़पति परिवार की इकलौती लाड़ली मीति को पूरा विश्वास था कि मध्यवर्गीय परिवार के मधुर के कैंपस सेलेक्शन के बाद वह पापा को अपने प्यार से मिलवाएगी…। मल्टीनेशनल कम्पनी के ऊँचे पैकेज की मेल मिलते ही मधुर ने मीति को अपने आगोश में ले लिया ऒर वह भावुक हो उठा,”मीति, तुम तो मेरे जीवन में पूर्णमासी की चाँदनी-सी शीतलता प्रदान करती हो, मेरे चारों ओर रोशनी की जगमगाहट-सी फैला देती हो, जब हँसती हो तो मेरे दिल में न जाने कितनी कलियाँ-सी खिल उठती हैं। बस अब मेरी ज़िंदगी में आकर मेरे सतरंगी सपनों में रंग भर दो।”
मीति, मधुर के प्यार भरे शब्दों में खो गई और लजाते हुए उसने पलकें झुका लीं थीं, और मधुर ने इस अवसर का लाभ उठाते हुए झट से उसकी पलकों को चूम लिया था…। इस मीठी-सी छुअन से उसका पोर-पोर आल्हादित हो उठा…, वह छुई-मुई सी अपने में सिमट गई। मीठी-सी छुअन के आनंद से उसका मन मयूर आनंदित हो उठा था।
समाज का जैसा चलन है कि करोड़पति की लाड़ली भला साधारण परिवार की बहू कैसे बन सकती है…तो पापा ने उसकी ख्वाहिश को एक पल में नकार दिया था…। मधुर उदास और पराजित-सा होकर दूर चला गया।दोनों के सतरंगी सपनों का रंग बदरंग कर दिया गया था…। मधुर ने अपनी सिम भी बदल डाली, फोन नंबर भी बदल दिया और अपनी परिस्थिति को समझते हुए मीति से सारे संबंध तोड़ लिए थे…।
कमनीय अनिंद्य सौंदर्य की धनी मीति के करोड़पति पापा ने धूमधाम के साथ उसे मिसेज मेहुल पोद्दार बना दिया… उसका अप्रतिम सौंदर्य पति मेहुल के लिए गर्व का विषय था। समय के साथ वह जुड़वां बच्चों की स्मार्ट माँ बन गई थी। पोद्दार परिवार की हीरे की कनी जैसी बहू बड़ी-बड़ी गाड़ियों में घूमती और अपने चेहरे पर खिलखिलाहट- मुस्कान का मुखौटा लगाए हुए अपने होने के एहसास और वजूद को हर क्षण तलाशती-सी रहती।
उसे किसी भी रिश्ते में उस मीठी-सी छुअन का एहसास न हो पाता और वह तड़प उठती। सब-कुछ होने के बाद भी वह खोई-खोई सी रहती…।इतना सब-कुछ पाने के बाद भी वह मधुर की उस मीठी-सी छुअन के विचार से ही रोमांचित हो उठती थी…।
पूरे ८ वर्ष बीत गए थे। वह अपने परिवार और बच्चों के साथ संतुष्ट थी, परंतु आज भी उसे अपनी सतरंगी सपनों की उड़ान और गुनगुनाती बयार मधुर की प्यारभरी मीठी छुअन की चाह, मन को आंदोलित करके भटका ही देती…। वह सोचती… वह मधुर से माफी भी तो नहीं मांग पाई… आज भी वह उससे नाराज ही होगा…।
एक शाम वह अकेली ही मॉल के कॉफी शॉप में बैठ कर कॉफी का इंतजार कर रही थी… वह फोन पर नजरें गड़ाए थी, तभी मानों उसके कानों में सुरीला संगीत बज उठा था… मधुर के वजूद में बसी खुश्बू उसके चारों ओर फैल गईं थी… उसकी मीठी-सी छुअन की भावनाएं पायल की मीठी-मीठी रुन-झुन सी संगीत लहरी उसके कानों में गूँज उठी थीं… दोनों की नजरें मिलीं और उसके दिल की धड़कनें तेज हो गईं…।
“कैसी हो मीति ?”
“अच्छी हूँ और तुम ?”
“मैं भी अच्छा और खुश हूँ, यहाँ मीटिंग में आया था।”
“मेरे साथ एक कॉफी भी नहीं पियोगे ?”
“मुझे फ्लाइट पकड़नी है, बोलो क्या कहना है ?”
“मधुर, मुझे माफ नहीं करोगे ?”
“मीति, दूरियाँ प्यार के रंग को कभी फीका नहीं करती…।”
“लेकिन मधुर, तुम्हारे बिना तो मेरा वजूद ही कहीं खो गया है” उसकी आँखों में अश्रु के बादल उमड़ पड़े थे…।
“नहीं मीति, तुम्हारा प्यार जितना सच्चा है, उतना ही तुम्हारा परिवार… तुम एक बार अपने दिल के दरवाजे खोल कर अपने सतरंगी सपनों को जीने की कोशिश तो करो….। रिश्तों की डोर में लिपटा तुम्हारा पति, बच्चे और परिवार… क्या इनके बीच में रह कर अपने वजूद को पंख नहीं दे सकती… वह सब तुम्हें कितना प्यार करते हैं…।”

मधुर से मिलने के बाद जब वह घर लौटने के लिए कार में बैठी तो अपनी पलकों को बंद करते ही ऐसे एहसास की अनुभूति हुई, मानों उसके सतरंगी सपनों को पंख लग गए हों और मधुर की मीठी-सी छुअन से वह आजाद हो चुकी है…। वह घर पहुंचते ही मेहुल के आगोश में आनंद की अनुभूति से सराबोर हो गई…।