संजय गुप्ता ‘देवेश’
उदयपुर(राजस्थान)
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रक्षाबंधन पर्व विशेष………..
हमारी संस्कृति में त्यौहारों की परम्परा यहाँ है
उसी में रक्षाबंधन का पावन पर्व भी तो यहाँ है,
भाई-बहिन के पवित्र प्रेम और रिश्तों की बानगी
ऐसा दोनों के बीच और कोई,उत्सव कहाँ है।
बहिनें बांधती हैं प्यार के धागे भाई की कलाई पे
भाई देता बहिन को,फिर हिफाज़त की जुंबा है,
दोनों के बचपन की शरारतें मस्ती लौट आती है
जिसकी यादें उनके दिलों में सदा से ही जवां है।
माँ पिता भी विभोर है,बेटी घर पीहर आयी है
भाइयों को लगे यही सबसे,खुबसूरत समां है,
कभी दूरियाँ भी सताती हैं उन सभी बहनों को
जिनका भाई देश प्रहरी बन,सीमा पे जहाँ है।
यूँ तो रिश्ते फीके पड जाते हैं,दूरियों के साथ
पर भाई-बहिन का प्रेम कभी कम हुआ कहाँ है,
एक राखी बदल देती है,रूख जिंदगियों का
इतिहास में ऐसी बहुत गाथाएं भी तो बयां है।
धरा ने बांधी चंदा मामा को,इन्द्रधनुषी राखी
बिजली खुशी से चमकी,बूंदें भी नाची वहाँ हैlदेवेश
की तमन्ना है बहुत बहिनों का प्यार मिले
भर जाए कलाई ये हाथ,फैला दी दोनों बाँह हैll
परिचय–संजय गुप्ता साहित्यिक दुनिया में उपनाम ‘देवेश’ से जाने जाते हैं। जन्म तारीख ३० जनवरी १९६३ और जन्म स्थान-उदयपुर(राजस्थान)है। वर्तमान में उदयपुर में ही स्थाई निवास है। अभियांत्रिकी में स्नातक श्री गुप्ता का कार्यक्षेत्र ताँबा संस्थान रहा (सेवानिवृत्त)है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप समाज के कार्यों में हिस्सा लेने के साथ ही गैर शासकीय संगठन से भी जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता,मुक्तक एवं कहानी है। देवेश की रचनाओं का प्रकाशन संस्थान की पत्रिका में हुआ है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जिंदगी के ५५ सालों के अनुभवों को लेखन के माध्यम से हिंदी भाषा में बौद्धिक लोगों हेतु प्रस्तुत करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-तुलसीदास,कालिदास,प्रेमचंद और गुलजार हैं। समसामयिक विषयों पर कविता से विश्लेषण में आपकी विशेषज्ञता है। ऐसे ही भाषा ज्ञानहिंदी तथा आंगल का है। इनकी रुचि-पठन एवं लेखन में है।