कुल पृष्ठ दर्शन : 195

लूटकेस पारिवारिक हास्य का पिटारा

इदरीस खत्री
इंदौर(मध्यप्रदेश)
*******************************************************

निर्देशक राजेश कृष्णन वाली इस फिल्म के अदाकार-कुणाल खेमू,रसिका दुगल, विजय रहज,गजराज राव,आर्यन प्रजापति तथा रणवीर शौरी हैंl
फ़िल्म से पहले विवाद पर चर्चा कर लेते हैं-फ़िल्म सिनेमाघरों में आने वाली थी लेकिन फ़िल्म को नेपाली फ़िल्म जात्रा की नकल बताया गया,फिर कोरोना महामारी में तालाबन्दी जिससे फ़िल्म अटक गईl फ़िल्म का मूल विषय जात्रा जैसा ही है, लेकिन फ़िल्म में बहुत से किरदार और नई-नई रचनात्मकता को जोड़ा गया है तो विषय पर समानता के चलते नकल नहीं मानी जा सकतीl

कहानी-

चंदन कुमार (कुणाल खेमू) मध्यमवर्गीय परिवार की समस्याओं से जूझते हुए परिवार चला रहे हैंl चावल के धंधे में हैं,जिज़की अपनी माली(रोकड़े)परेशानियां भी हैंl वह एक चाल में रहते हैं,साथ में पत्नी लता(रसिका दुगल) और बेटा(आर्यन प्रजापति) भी हैl
चंदन को एक सूटकेस पड़ा मिलता है,वह अच्छे आदमी की तरह उसको मालिक तक पहुंचा देना चाहता है,लेकिन मनुष्य के लालच की मनःस्थिति उस सूटकेस को घर ले आने पर मजबूर कर देती हैl घर लाकर जब खोलता है,तो उसके सपने,उसकी इच्छाएं, उसकी ज़रूरतें उस सूटकेस में मिलती है,यानी नोटों से भरा पड़ा है वह सूटकेसl
यहां से शुरू होता है इच्छाएं पूरी करने का खेल या तमाशा,आम आदमी को जैसे वरदान मिल गया होl आज के कलयुग में रोकड़ा भगवान तो नहीं,पर कम भी नहीं,परन्तु इस सूटकेस को एक राजनेता(गजराज राव) दूसरे राजनेता को भेजते हैं और गलती से चंदन के पास पहुँच गया हैl अब एक स्थानीय सरगना(विजय राज) और पोलिस वाले (रणवीर शोरी) को इस सूटकेस को खोजने के लिए लगाया जाता हैl
क्या यह रोकड़ा उसके मालिक तक पहुँच पाता है…क्या चंदन अपनी ज़िंदगी बदल पाता है…क्या गुंडों और पोलिस से आम आदमी निपट पाता है…l इन सवालों के जवाब के लिए फ़िल्म देखी जा सकती हैl
इसमें परिस्थितिजन्य हास्य पैदा होता है,वह बढ़िया बना हैl फ़िल्म एक पुरानी फ़िल्म नसीरूद्दीन शाह की मालामाल(१९८८) की याद ताजा कर देती हैl

अदाकारी-

कुणाल खेमू पूरे रंग में अभिनय करते नज़र आए,मराठी भाषी किरदार को सटीक ग्रहण किया हैl आदमी की सादगी-बेचारगी-लालच उम्दा अभिनय से चित्रण किया हैl विजय राज,इस अदाकार की यह खासियत है कि हर किरदार जो यह करते हैं,वह जीवंत बना देते हैंl गजराज राव ने इस बार भी किरदार को सौ फ़ीसदी दिया हैl
रणवीर शोरी उम्दा कलाकार और रंगमंचीय आभा लिए अभिनेता हैंl रसिका दुगल,आर्यन प्रजापति छोटे-छोटे किरदार से भी न्याय करते नज़र आए हैंl कुल मिलाकर फ़िल्म शानदार अभिनेताओं का एक गुलदस्ता लगने लगती हैl सचिन नायक टैक्सी चालक के छोटे किरदार में दिखे,पर पूरी तरह से छाप छोड़ जाते हैंl

गीत-संगीत-

कुल ३-४ गाने हैं,जो परिस्थितिजन्य होने के कारण फ़िल्म को आगे बढ़ाते हैंl आप फ़िल्म में ही छोड़ आएंगेl गीत संगीत रोहन-विनायक का हैl २ गाने-लाल पेटी,मुफ्त का चंदन,अच्छे लिखे और अच्छा फिल्मांकन किया गया है,जो फ़िल्म को रफ्तार देते हैंl

राय-

जात्रा की नकल नहीं है,क्योंकि जात्रा में कोई राजनीतिक किरदार नहीं था,इसमें हैl

कमज़ोर चरण-

फ़िल्म की कहानी कमज़ोर लगने लगती हैl आप फ़िल्म में अगले दृश्यों का अनुमान लगाने लगते हैं,यह फ़िल्म की कमज़ोरी मानी जाएगीl कहानी और मजबूत हो सकती थीl

बजट-

इसके कोई पुख्ता आँकड़े नहीं आए हैं तो अनुमान से ७-८ करोड़ में फ़िल्म तैयार हुई होगीl फ़िल्म की बिक्री लगभग १२ करोड़ में हॉटस्टार डिज्नी ओटीटी पर हुई हैl सेटेलाइट अधिकार की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं हुई हैl

अंत में-

फ़िल्म ओटीटी पर प्रदर्शित हुई है,तो आप घर पर ही देखकर मनोरंजन कर पाएंगेl फ़िल्म पारिवारिक मनोरंजन से भरपूर है,तो पूरे परिवार के साथ फ़िल्म देख सकते होl

परिचय : इंदौर शहर के अभिनय जगत में १९९३ से सतत रंगकर्म में इदरीस खत्री सक्रिय हैं,इसलिए किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग १३० नाटक और १००० से ज्यादा शो में काम किया है। देअविवि के नाट्य दल को बतौर निर्देशक ११ बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में देने के साथ ही लगभग ३५ कार्यशालाएं,१० लघु फिल्म और ३ हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। आप इसी शहर में ही रहकर अभिनय अकादमी संचालित करते हैं,जहाँ प्रशिक्षण देते हैं। करीब दस साल से एक नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं। फिलहाल श्री खत्री मुम्बई के एक प्रोडक्शन हाउस में अभिनय प्रशिक्षक हैंl आप टीवी धारावाहिकों तथा फ़िल्म लेखन में सक्रिय हैंl १९ लघु फिल्मों में अभिनय कर चुके श्री खत्री का निवास इसी शहर में हैl आप वर्तमान में एक दैनिक समाचार-पत्र एवं पोर्टल में फ़िल्म सम्पादक के रूप में कार्यरत हैंl

Leave a Reply