सबकी मानसिकता
बबिता कुमावतसीकर (राजस्थान)***************************************** सब कुछ सह जाती हैंसमाज की औरतें,बदल नहीं पाईफिर भी मानसिकता सबकी। औरत को आँकने का तरीकाकभी नहीं बदल पाई वह,ऐसी कोई इच्छारखी नहीं उसने,जिसमें दबी हो चीखेंशोषित और पीड़ित वर्ग की। जूझती हैं भले हीपूरी उम्रभर,पर उठ जाती हैंएक पुकार से। चाहे वह हो रंभाती हुईगाय-भैंस की पुकार,जिसमें छिपी है शोषण … Read more