बालाजी से बढ़कर कोई नहीं

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** श्री बालाजी की भक्ति को जिसने समझा सही,उसे दुनिया से कोई शिकवा नहींश्री बालाजी से बढ़कर दुनिया में कोई नहीं,वो क्या जानेंगे, जिसने कभी भक्ति की ही…

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झूले पड़ गए बागों में

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** सावन का मतवाला मौसम, 'झूले पड़ गए बागों में',डाल हाथ में हाथ पिया, चल झूमें मस्त बहारों में। डाल-डाल पर बैठे पंछी मधुर रागिनी गाते हैं,सावन की…

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वीर सपूत

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* हे भारत माता के वीर सपूतों तुम्हें सादर प्रणाम,हे भारत के रखवालों, वीर सपूतों तुम्हें प्रणाम। जब याद आती है, हे वीर सपूतों आपकी हमें,कितना कष्ट…

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कहीं ऐसा ना हो!

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** हरा, भरा यह खिलता उपवन,पतझड़ ही ना बन जाएभारत के भीतर भारत की,अस्मत ही न छली जाए। सच को सच, झूठे को झूठा,कहने मे संकोच जहांभारत वासी,…

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सावन वर्षा मुदित शिव

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* पावन सावन मास में, अम्बर है अभिराम।गर्जन तर्जन बिजुलिया, छाया है घनश्याम॥ देख मेघ प्रियतम सखा, वर्षा मुख मुस्कान।बनी नर्तिका वर्षिणी, बरसी रिमझिम गान॥…

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ख्वाहिश

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* जानलेवा गर्मी के बाद,राहत भरी बारिश हुई हैआज बहुत दिनों के बाद,बाँहों में लेने की ख्वाहिश हुई है। प्यासे थे पेड़-पौधे जीव-जंतु,प्यास बुझाने की…

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जीवन एक संगीत

संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** सुर-ताल गीत-संगीत,झंकृत हो अविरल प्रीतपक्षी-पौधे, जीव-जंतु,सब सुनते गीत-संगीत। कोयल की मधुर कुहू सा गीत,तोते के भी शब्द निकलतेजैसे मधुर मीठे हों नीत,वन-जंगल में मयूर नृत्य…

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बरसात का मौसम

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* धरा की प्यास बुझाने आया,जीवन को प्राण है देने आयासूखे पेड़-पौधे जो कुम्हलाए,बरसात का मौसम है आया। पशु-पक्षी के लिए जल लाया,ताल-तलैया भरने को आयारिमझिम-रिमझिम…

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भोर वंदना

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* हे प्रभु जग का कल्याण करो।निज रचना में प्रभु प्राण भरो॥जीवन नहिं सृष्टि बिना सजता।लेकिन यह समझ नहीं सकता॥ बिन ज्योति जगत में अंधियारा।प्रभु ज्योति…

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जीते सब अपने ढब से

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** जीते हैं सब अपने ढब से,अपने-अपने बस मतलब से…। चढ़ते जाते इक-इक जीना,बुलंदियों की लगी तलब से…। भरा हुआ भर-भर ले जाता,जरूरत वाला बैठा कब से…। कहते…

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