शीर्षक-तुम बनो कान्हा मनभावन

तुम बनो कान्हा मनभावन, मैं अधरों पर शोभित बांसुरी तुम लय ताल सखे, मैं राधिका गीत लय की। नदिया की लहर जल बूंदों-सा, छ्ल-छ्ल बहता हृदय सरल प्रकृति के इस उपवन में, खिलखिलाता पुष्प सुरभित पवन कोयल की कुहू, भ्रमरों का गुंजन, नाचे मयूर सतरंगी मन। तुम बनो कान्हा मनभावन… जीवन की ये जटिल ग्रंथियाँ, … Read more

हैदराबाद में हुआ ‘कविता की शाम:डॉ. ‘मानव’ के नाम’ कार्यक्रम

नारनौल (हरियाणा)। हैदराबाद और सिकंदराबाद की ३ लोकप्रिय संस्थाओं-गीत चाँदनी, हिंदी लेखक-संघ और गोलकोंडा दर्पण विचार-मंच के संयुक्त तत्वावधान में सुप्रसिद्ध साहित्यकार और शिक्षाविद् डॉ. रामनिवास ‘मानव’ के सम्मान में कार्यक्रम आयोजित किया गया। नामपल्ली स्थित हिंदी प्रचार-सभा के सभागृह में इस ‘कविता की शाम:डॉ. ‘मानव’ के नाम’ कार्यक्रम में एक दर्जन से अधिक कवियों … Read more

लोगों की वास्तविक पीड़ा, मुहिम की जरूरत

प्रतिक्रिया… ◾संविधान निर्माण के समय ही रचा गया षडयंत्र-प्रदीप कुमार (वरिष्ठ अधिवक्ता, इलाहबाद उच्च न्यायालय)-गुप्ता जी, आपका आलेख संविधान और उससे संबंधित विधाना को भली प्रकार अध्ययन कर जनमानस को सही तथ्यों से अवगत कराने की तथ्यात्मक जानकारी है। वास्तव में संविधान निर्माताओं ने एक षड्यंत्र करके राष्ट्रभाषा हिंदी को केवल संघ की राजभाषा के … Read more

दिल के अरमां…

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** देखना एक दिन,दुनिया से चले जाएंगेढूंढते फिरोगे,बिल्कुल नज़र नहीं आएंगेचर्चे होंगे हमारी वफ़ा के,इस जमीं परऔर हम सिर्फ,तस्वीर में नजर आएंगे। बेजान-सी तन्हाई तुम्हें,जीने नहीं देगीरात के अंधेरों में,जुगनू नज़र आएंगेयादें रह जाएंगी बस,हसीन पलों कीहसीन ख्वाब सब,टूटकर बिखर जाएंगे। न संगी होगा न साथी,जमाने में तुम्हारासब रिश्ते-नाते,धीरे-धीरे बदल जाएंगेक्या करोगे जब,घर … Read more

विचलित हूँ

संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** विचलित हूँ विचरण पथ पेअंतःकरण में होता सोर,उर दौड रहा अचरज रथ पेधूमिल राह मेरी हर ओर। मानो तो जैसे कोहरागर्जन हो बादल-सा सोर,योग-भोग के मध्य तर्जनटकरा अर्जन उर्जा घनघोर। हूँ उत्पीड़न में, या मैं व्याकुलवशीभूत हूँ या मैं हूँ आतुर,किसी गति में हूँ या हूँ गत मेंवर्णित नहीं उर मेरी ठोर। … Read more

हँसता हूँ, मगर उल्लास नहीं

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************** हँसता हूँ मगर उल्लास नहीं, रोने पे मुझे विश्वास नहीं,इस मूरख मन को जाने क्यों, ये जी बहलावे रास नहीं। अश्रु का खिलौना टूट गया, मुस्कान की गुड़िया रूठ गई,इस चंचल बालक-मन को मगर, लूटे जाने का अहसास नहीं। सब बात बिगड़ने की, एक आस-निराश का चक्कर है,जो बिगड़ गई वो … Read more

चाय का जायका

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीमनेन्द्रगढ़ (छत्तीसगढ़)********************************************* ठिठुरती सर्दियों में जब मिल जाए,एक गरमा-गरम कड़क चाय की प्यालीतो सचमुच अप्सरा लगे घरवाली। साथ में गर हो कुरकुरे पकौड़े की थाली,और तीखी चटनी टमाटर वालीतो क्या कहने!मीठी-सी लगे उसकी हर बोली। इस गरम चाय की चुस्की में,प्यार से कूटा अदरक औरश्रद्धा की तुलसी जब पड़ती है,मिट्टी की प्याली में … Read more

‘सप्तर्षि’ स्वरूप सातवें आसमान पर ले जाएगा

डॉ. पुनीत कुमार द्विवेदीइंदौर (मध्यप्रदेश)********************************** बजट… नए भारत का नया बजट एक कल्याणकारी बजट सिद्ध होगा। कृषि क्षेत्र में युवाओं को स्टार्ट-अप के लिए अवसर देना अभिनव प्रयोग एवं सराहनीय पहल है, जिससे कृषि क्षेत्र में नवीन क्रांति संभव है। युवाओं को कृषि क्षेत्र में अवसर मिलेंगे और बेरोज़गारी की समस्या का भी स्थाई समाधान … Read more

वो आयें ना मधुमास में

डॉ. कुमारी कुन्दनपटना(बिहार)****************************** नैना भर-भर आये सखी रे,वो आयें ना आयें इस आस मेंजाने वो कौन-सी मजबूरी है,वो आयें ना मधुमास में। पंछी चहक-चहक कर बोले,उन्मुक्त नीले आकाश मेंवल्लरिया पेड़ों से लिपटे,एक-दूजे के प्यार में। महुआ महके, मंजर फूले,वसंत के इन्तज़ार मेंपीली सरसों खेत में झूमे,जैसे मादकता हो बयार में। कोयल कूके, भौंरा गाये,मधुर रागिनी … Read more

अरुण वी. देशपांडे सम्मानित

hindi-bhashaa

पूना (महाराष्ट्र)। प्राची डिजिटल प्रकाशन (उत्तराखंड) द्वारा लेखक अरुण वी. देशपांडे (पूना, महाराष्ट्र) को साहित्यिक योगदान के लिए ‘कबीर दास साहित्य रत्न सम्मान’ से अलंकृत किया गया है। प्रकाशन के सम्पादक विनोद कुमार ने आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है।