शीर्षक-तुम बनो कान्हा मनभावन
तुम बनो कान्हा मनभावन, मैं अधरों पर शोभित बांसुरी तुम लय ताल सखे, मैं राधिका गीत लय की। नदिया की लहर जल बूंदों-सा, छ्ल-छ्ल बहता हृदय सरल प्रकृति के इस उपवन में, खिलखिलाता पुष्प सुरभित पवन कोयल की कुहू, भ्रमरों का गुंजन, नाचे मयूर सतरंगी मन। तुम बनो कान्हा मनभावन… जीवन की ये जटिल ग्रंथियाँ, … Read more