रातों को जगाकर
डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीमनेन्द्रगढ़ (छत्तीसगढ़)********************************************* यादें तंग करती है,रातों को जगाकरधीमे से आकर,कुछ पल खट्टे-मीठेपलकों के नीचे,आँखों को भीचेंयादें तंग करती है। मुड़कर देखा तो,बचपन के साथीछुपा-छुपी खेले,पेड़ों के नीचेस्कूल के…