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क्रान्ति का समाधान पत्रकार और साहित्यकार ही निकालेंगे

गोष्ठी…

इंदौर (मप्र)।…

यहाँ आकर मुझे आनन्द की अनुभूति हुई, ऐसी संस्थाओं को साहित्यिक धरोहर के रुप में मजबूत किया जाना चाहिए। भविष्य की क्रान्ति का समाधान पत्रकार और साहित्यकार ही निकालेंगे।
उत्तरप्रदेश हिन्दी संस्थान (लखनऊ) एवं राष्ट्रीय हिन्दी पत्रिका ‘वीणा’ श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति इन्दौर के संयुक्त तत्वावधान में समिति के शिवाजी भवन सभागार में आयोजित संगोष्ठी में यह बात प्रथम उद्घाटन सत्र में आर.पी. सिंह (वरिष्ठ भा.प्र. सेवा, निदेशक उ.प्र. हिन्दी संस्थान) ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कही।
वरिष्ठ साहित्यकार सूर्यकांत नागर ने पत्रिका के संदर्भ में अमृतलाल नागर, माखनलाल चतुर्वेदी, नारायण चतुर्वेदी एवं मैथिलीशरण गुप्त को याद किया। डॉ. राजीव शर्मा ने हिन्दी पत्रकारिता के आरम्भ से अब तक के प्रसंगों का सारांश प्रस्तुत किया। आरम्भ में स्वागत उद्बोधन में पत्रिका के संपादक राकेश शर्मा ने पूर्व संपादकों एवं संस्था के संस्थापक मनीषियों को सादर स्मरण करते हुए आयोजन पर प्रकाश डाला। हिंदी संस्थान की प्रधान संपादक डॉ. अमिता दुबे एवं ने संचालन कर रहे हरेराम वाजपेयी ने ही भी बात रखी। समिति के प्रधानमंत्री प्रो. सूर्यप्रकाश चतुर्वेदी ने आभार किया। अतिथियों का स्वागत प्रचार मंत्री अरविंद ओझा, डॉ. पद्मासिंह ने किया।

आपसी प्रगाढ़ता और सामंजस्य
संगोष्ठी के दूसरे सत्र में डॉ. दीप्ति गुप्ता ने स्वतंत्रता आंदोलन और हिन्दी साहित्यिक पत्रकारिता पर अपना सारगर्भित पत्र पढ़ा। फगवाड़ा से आए डॉ. अनिल पाण्डेय, म.प्र. साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर के पत्रकारिता विभाग की प्रमुख डॉ. सोनाली नरगुन्दे एवं सत्र की अध्यक्षकता कर रहे देवास के प्रकाश कान्त ने भी उद्बोधन किया। सारांश रहा कि साहित्यिक पत्रकारिता और पत्रकारिता में फर्क होते हुए भी आपसी प्रगाढ़ता और सामंजस्य होता है। इस सत्र का संचालन प्रभु त्रिवेदी ने किया।

‘वीणा’ हिन्दी साहित्य की धरोधर
तीसरे सत्र में ‘हिन्दी साहित्यिक पत्रकारिता को वीणा पत्रिका का योगदान’ विषय पर वैचारिक सत्र हुआ। इंदौर से डॉ. पुष्पेन्द्र दुबे, देवास के वरिष्ठ साहित्यकार जीवनसिंह ठाकुर ने विचार रखे। अध्यक्षता कर रहे विक्रम विश्वविद्यालय में हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने ‘उदत्त मार्तण्ड’ से लेकर वर्तमान समय पर विचार व्यक्त किए और कहा कि वीणा हिन्दी साहित्य की धरोधर है। इसकी तुलना किसी से नहीं हो सकती। इस सत्र का संचालन पद्मा राजेन्द्र ने किया।

विद्यार्थियों को प्रमाण-पत्र दिए
इस एक दिवसीय साहित्यिक वैचारिक गोष्ठी में समिति परिवार, वामा साहित्य मंच, हिन्दी परिवार इंदौर, महाविद्यालयों के छात्र और छात्राओं ने सोल्लास सहभागिता की, उन्हें प्रमाण-पत्र भी दिए गए। इस अवसर पर राकेश शर्मा का अभिनन्दन किया गया।

कार्यक्रम में संतोष मोहन्ती, सदाशिव कौतुक, रामचन्द्र अवस्थी, अंजना चक्रपाणि मिश्र, वाणी जोशी, प्रतापसिंह सोढ़ी, मुकेश इन्दौरी, पुनीत चतुर्वेदी, छोटेलाल भारती, विजय चौहान व अनिल कटारे आदि ने सहभागिता की। डॉ. अमिता दुबे एवं समिति की ओर से प्रदीप ‘नवीन’ ने आभार व्यक्त किया।

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