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हिंदी मानस में बसी

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’
लखीमपुर खीरी(उप्र)
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अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस स्पर्धा विशेष….

हिन्दी भाषा मातृ सम,जिसका अनुपम प्यार।
सहज,सरल,बेहद मधुर,अति स्नेहिल व्यवहार॥

हिन्दी मानस में बसी,हिन्दी से ही मान।
हिन्दी भाषा प्रेम की,हिन्दी से पहचान॥

हिन्दी करती हिन्द का,साहित्यिक श्रृंगार।
सिखलाती है सभ्यता,दे स्नेहिल पुचकार॥

हिन्दी भाषी हम सभी,हिन्दी अपनी शान।
आओ हिन्दी का करें,हम मिलकर उत्थान॥

हिन्दी अपनी अस्मिता,संस्कार अभिमान।
करें सृजन से हम सभी,हिन्दी का उत्थान॥

मिला आज तक क्यों नहीं,हिन्दी को सम्मान।
जिससे हिन्दुस्तान की,आन बान अरु शान॥

राष्ट्र पटल पर जब तलक,हो ना यह स्वीकार।
तब तक कैसे हो भला,हिन्दी का उद्धार॥

मिल पायेगा कब भला,हिन्दी को सम्मान।
लख कर इसकी दुर्दशा,होता कष्ट महान॥

पडी़ पाँव में बेड़ियाँ,रूठी है तकदीर।
कब चमकेगी हिन्द में,हिन्दी की तस्वीर॥

हिन्दी दीपक की तरह,जलकर करे प्रकाश।
फिर भी बन पायी नहीं,भाषा हिन्दी खास॥

परिचय- शिवेन्द्र मिश्र का साहित्यिक उपनाम ‘शिव’ है। १० अप्रैल १९८९ को सीतापुर(उप्र)में जन्मे शिवेन्द्र मिश्र का स्थाई व वर्तमान बसेरा मैगलगंज (खीरी,उप्र)में है। इन्हें हिन्दी व अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। जिला-लखीमपुर खीरी निवासी शिवेन्द्र मिश्र ने परास्नातक (हिन्दी व अंग्रेजी साहित्य) तथा शिक्षा निष्णात् (एम.एड.)की पढ़ाई की है,इसलिए कार्यक्षेत्र-अध्यापक(निजी विद्यालय)का है। आपकी लेखन विधा-मुक्तक,दोहा व कुंडलिया है। इनकी रचनाएँ ५ सांझा संकलन(काव्य दर्पण,ज्ञान का प्रतीक व नई काव्यधारा आदि) में प्रकाशित हुई है। इसी तरह दैनिक समाचार पत्र व विभिन्न पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हैं। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार देखें तो विशिष्ट रचना सम्मान,श्रेष्ठ दोहाकार सम्मान विशेष रुप से मिले हैं। श्री मिश्र की लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा की सेवा करना है। आप पसंदीदा हिन्दी लेखक कुंडलियाकार श्री ठकुरैला व कुमार विश्वास को मानते हैं,जबकि कई श्रेष्ठ रचनाकारों को पढ़ कर सीखने का प्रयास करते हैं। विशेषज्ञता-दोहा और कुंडलिया केA अल्प ज्ञान की है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार (दोहा)-
‘हिन्दी मानस में बसी,हिन्दी से ही मान।
हिन्दी भाषा प्रेम की,हिन्दी से पहचान॥’

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