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जन्म

नरेंद्र श्रीवास्तव
गाडरवारा( मध्यप्रदेश)
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सड़क के किनारे साहब का बंगला था। उन्हें शायद कुत्ते पालने का शौक था। उन्होंने २ बड़े खूंखार कुत्ते पाल रखे थे। फटे-पुराने,टूटे-फूटे सामान इकठ्ठे करने वाले ७-८ साल के २ लड़के उस बंगले के पास से गुजरे।
बंगला देखकर एक बोला-‘क्यों छोटू! कितना सुंदर बंगला है ? मगर कुत्तों के कारण कितना भयानक लग रहा है।’
‘कोई चोर वगैरह न घुसें इसीलिए साहब लोग कुत्ते पालते हैं ‘-छोटू बोला।
‘मगर चोर तो क्या,ऐसे कुत्ते देखकर उनके रिश्तेदार भी नहीं घुस सकते’-पहले वाला बोला।
‘छोड़ यार,अपने को क्या करना’-छोटू बोला।
‘देखो,कुत्ते कितने मजे से दूध पी रहे हैं।’ आज अपन भी ये सामान बेचकर दूध पीएंगे’-वही पहले वाला लड़का बोला।
‘और खाना ?’-छोटू ने पूछा।
‘आज खाना नहीं खाएंगे…सिर्फ दूध पीएंगे और उपवास रखेंगे। शायद भगवान हम पर खुश हो जाएं और अगले जन्म में हमें साहब नहीं तो साहब का कुत्ता ही बना दें। इतने बड़े बंगले में रहने तो मिलेगा’-वह बोला।
‘और रोज दूध पीने भी’-छोटू बोला और मुस्काराने लगा।

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