कसक हृदय की

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** मधुर कसक है आज हृदय मेंसुधि बन छाया कौन,झुकती जाती बोझिल पलकेंमन में द्वारे आया कौन ? लिखने बैठी पीर हृदय कीमन में मेरे समाया कौन,देर रात…

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दुष्यंत कुमार का लेखन राष्ट्र के लिए सांस्कृतिक उपलब्धि

भोपाल (मप्र)। दुष्यंत कुमार ने सिर्फ ग़ज़ल ही नहीं, साहित्य की सभी विद्याओं में प्रभावी और श्रेष्ठ सूरज किया है। वे जयप्रकाश आंदोलन के कारण ग़ज़ल में आए। उनका लेखन…

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वह तेजस्वी महाराणा प्रताप

सीमा जैन ‘निसर्ग’खड़गपुर (प.बंगाल)********************************* नस-नस में जिनके देशभक्ति कासागर-सा रक्त उफनता था,भींची हुई मुट्ठियों में जिनकेआक्रोश मुगलों पर उतरता था।वह तेजस्वी चित्तौड़ के राजा,वीर राणा प्रताप कहलाते थे। धन्य हुई…

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भाषाई स्वाभिमान जाग्रत रहे, इसके लिए प्रयासरत रहें

इंदौर (मप्र)। 'पथ उजियारा' पुस्तक में अनेक विषयों पर सुंदर रचनाएं हैं। 'फागुन' कविता में ब्रज, अवधी मालवी, निमाड़ी के देशज शब्दों का प्रयोग जब रचना में होता है तो…

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बरस रहे अंगार

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* आसमान से आज तो, बरस रहे अंगार।पैर जल रहे, सिर तपे, सूरज की है मार॥ सूरज तो अब हो गया, सचमुच में खूँखार।आज आदमी त्रस्त है,…

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मैंने निभाया…

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** मैंने चुपचाप हर सुबह को सवेरा किया,तेरे लिए हर अंधेरे को उजाला कियातेरी थकान में खुद को भुला बैठी,तेरे ख्वाबों को अपना बना बैठी। मैंने वो…

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वक़्त के साथ

धर्मेंद्र शर्मा उपाध्यायसिरमौर (हिमाचल प्रदेश)******************************************************* है वक़्त नहीं कि कुछ कहा जाए,तो वक़्त यही कि सब कुछ सहा जाएहै वक़्त वही कि सब मिटा दिया जाए,वो वक़्त नहीं जिसे बदल…

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बोन मैरो

पद्मा अग्रवालबैंगलोर (कर्नाटक)************************************ “माँ मैं नर्वस फील कर रही हूँ, इतने बड़े स्टेज पर बैठ कर गीत गाना मुझसे नहीं होगा। मैं अपना नाम वापस लेती हूँ।”सरिता जी ने बेटी…

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उष्ण समीर

डॉ.एन.के. सेठी ‘नवल’बांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* चलता उष्ण समीर, नौतपा खूब तपाता।सूर्य दिखाता ताव, बदन को आग लगाता॥बारिश ही अब आस, धरा की प्यास बुझाए।खाली ताल-तडाग, सभी फिर से भर जाए॥…

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खुली खिड़की

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर (मध्यप्रदेश)******************************** जब खिड़की खोलकर देखती हूँ,बाहर का नजाराचिड़ियों की चहक,दोस्तों का दिखनाठंडी हवा,फूलों की खुशबूकर देती मन को ताजा,सूरज की किरणेंघर में उजास भर देती,जब सुबह खिड़की खोलती। अब…

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