कहानी संग्रह पुरस्कृत, विमोचन भी
चेन्नई। विविधा संस्था सूरतगढ़ द्वारा रोचिका अरुण शर्मा के कहानी संग्रह 'जो रंग दे, वो रंगरेज' को अखिल भारतीय अर्जुन राम सुथार पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया। आपको सम्मानित कर…
चेन्नई। विविधा संस्था सूरतगढ़ द्वारा रोचिका अरुण शर्मा के कहानी संग्रह 'जो रंग दे, वो रंगरेज' को अखिल भारतीय अर्जुन राम सुथार पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया। आपको सम्मानित कर…
अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** 'विश्व कला दिवस' (१५ अप्रैल) विशेष... 'कला',रंग अभिव्यक्तिमन-जीवन सार,मिलती ख़ुशीहृदय। 'कला',जगाती भावनाउड़ाती आसमान में,विविध रंगजीवन। 'कला',हाथ हुनरचमकता है चेहरा,मजबूत रिश्तेप्रेम। 'कला',अनूठा माध्यमरूप संगीत भी,मिलता सुकूनअसीम। 'कला',बँधती…
ललित गर्ग दिल्ली*********************************** 'विश्व कला दिवस' (१५ अप्रैल) विशेष... कला जीवन को रचनात्मक, सृजनात्मक, नवीन और आनंदमय बनाने की साधना है। कला के बिना जीवन का आनंद फीका-अधूरा है। कला…
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* आए जितनी आपदा, सहे सकल अवमान।तनिक तारीफें क्या मिली, खिलें होंठ मुस्कान॥ निर्बलता विचलित मना, उदासीन प्रतिमान।सहज सरल संघर्ष में, तारीफ़ औषधि मान॥ हेतु…
सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** एक दिवस बिटिया ने पूछा-अम्मा मुझको आज बताओ,चंदा मामा क्यों कहते हैं ?मुझको यह संबंध बताओ। चंदा चाचा, चंदा ताऊ,चंदा भाई क्यों नहीं कहते ?क्यों चंदा को…
लालित्य ललितदिल्ली*********************************** "भाई साहब नमस्ते" अगले को कहा ही था…कहने लगे "पेले तो हमारे साथ बैठिए, यह क्या बात हुई कि आप महिलाओं के हिस्से में जा पड़े!"मन की बात…
डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’जोधपुर (राजस्थान)************************************** तुम्हारी नजरों ने जबसे देखा,अजब-सी चाहत उभर रही है। छुपे हुए दबे अहसासों से,नजर हमारी उतर रही है। सवालों की है कद्र तुम्हारी,जवाबों की भी…
राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’धनबाद (झारखण्ड) ************************************************************* जीवन के तीसरे पड़ाव में,अब तो सहर्ष सत्कर्म करोइधर-उधर बातें करने वालों,देखो अब तो कुछ शर्म करो। दूसरे की कमियाँ गिनने वालों,अपने कर्म का भी…
हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** ऊँचे शिखर से निकली नदियाँ,कहां सागर से पहले रुकती हैं ?लाख दीवारों से रोके चाहे कोई,वे डैम फांदती हैं न कि झुकती हैं। कौन बनाता है…
संजय वासनिक 'वासु', मुम्बई (महाराष्ट्र) भारत के संविधान पर गर्व करने वालों…क्यों खुद का ढोल बजाते हो ?ये ढोंग किसलिए किए जाते हो…?क्या कभी खुद की बुनियाद को परखे हो, स्वयं…