मन शिव-शंभू बोले

प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी’सहारनपुर (उप्र)************************************************** रे मन शिव-शंभू बोले कभी तेज कभी हौले,शिव का नाम सुन-सुन के जियरा मोरा डोले। उस भक्त पर शिव जी शीघ्र ही प्रसन्न हों,दु:खों…

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‘भारतीय ज्ञान परम्परा और समग्र स्वास्थ्य’ पुस्तक भेंट

इंदौर (मप्र)। मध्यप्रदेश ग्रन्थ अकादमी द्वारा प्रकाशित 'भारतीय ज्ञान परम्परा और समग्र स्वास्थ्य' पुस्तक में डॉ. मनोहर भंडारी ने स्वदेशी चिकित्सा जगत के वृहद ज्ञान को सहेजने-समेटने का प्रयास किया…

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तुम्हारे बिना

पद्मा अग्रवालबैंगलोर (कर्नाटक)************************************ डॉ. अर्जुन जब से कानपुर देहात के जिला अस्पताल में सीएमओ बन कर आए हैं, उनका सामाजिक दायरा भी बढ़ गया है। चूंकि, वह सरकारी पद पर…

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कहाँ चले जाते अपने…

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ टूटते हैं सपने,ना जाने कहाँ चले जाते हैं अपनेरोते हैं हम दिन-रात,फिर भी नहीं आते हैं अपने। हर चेहरे पर नजरों की चाह ढूंढते हैं,तेरी…

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शब्दों का मेला

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* शब्द-शब्द है चेतना, शब्द-शब्द झंकार।मिले सृष्टि को जागरण, शब्द रचें आकार॥ शब्द विश्व का रूप है, शब्द बने उजियार।शब्द उच्च उर्जा लिए, मेटे हर अँधियार॥ शब्द…

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वैशाखी आई

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर (मध्यप्रदेश)******************************** फसल भरपूर हुई,वैशाखी आईखुशियों की सौगात लाई,वैशाखी आई। करे भांगड़ा हर कोई,वैशाखी आईत्यौहार की बढ़ी शान,वैशाखी आई। उत्साह उमंग के द्वार खोलने,वैशाखी आईदिलदार-मालदार बनाने,वैशाखी आई। दूर…

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अपना घर

राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)******************************************* अपने आधे से अधिक सफेद हो चुके बालों को संवारती मंजरी खिड़की के पास बैठी अतीत में चली गई। उसके पिताजी कहा करते थे-"लड़की का असली घर…

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तथ्य, कथ्य और पथ्य की त्रिवेणी से मिलकर बनती है श्रेष्ठ लघुकथा

भोपाल (मप्र)। तथ्य कथ्य और पथ्य की त्रिवेणी से मिलकर बनती है एक श्रेष्ठ लघुकथा। तथ्य यानि जो घटना लेखक को सबसे पहले प्रभावित करे। इसके पश्चात् कथ्य जो लेखक…

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टूट रहे समरस वतन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* तुले तोड़ने चल पड़े, देश धर्म सद्भाव।ताल बजाते देख जन, काम क्रोथ मद घाव॥ टूट रहे समरस वतन, भाषा जाति समाज।कहाँ परस्पर मेल अब,…

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दिन सलोने बचपन के…

संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)****************************** उम्र के इस मोड़ पर आज जब पीछे मुड़ कर मैं देखता हूँ,बचपन की सुहानी यादों के पंछियों को चहकता पाता हूँ। कितनी-कितनी यादों के पंछी…

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