कुल पृष्ठ दर्शन : 335

You are currently viewing पुस्तक-महत्ता

पुस्तक-महत्ता

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

*********************************************

विश्व पुस्तक दिवस स्पर्धा विशेष……

पुस्तक में संसार है,भरा हुआ आलोक।
पुस्तक में जो धर्म है,उससे जगमग लोक॥

पुस्तक में नवचेतना,भरा हुआ है ज्ञान।
पुस्तक दे संसार को,सचमुच नवल विहान॥

पुस्तक में विज्ञान है,पुस्तक अनुसंधान।
पुस्तक तो आवाज़ है,पुस्तक है यशगान॥

पुस्तक नित उत्थान है,पुस्तक है अरमान।
पुस्तक मंगलगान है,पुस्तक सुर,लय तान॥

पुस्तक अंत:चेतना,पुस्तक नव संदेश।
देकर नित नव,वह हरे,मानव का हर क्लेश॥

पुस्तक में तो देव हैं,पुस्तक में हैं ईश।
पुस्तक पढ़ इंसान का,उन्नत रहता शीश॥

पुस्तक तो इतिहास है,पुस्तक है भूगोल।
हर सुधिजन समझे यहाँ,पुस्तक का नित मोल॥

पुस्तक में तो अर्थ है,संस्कार का वेग।
पुस्तक देती है हमें,खुशियों का नित नेग॥

पुस्तक लाती युग नया,गढ़ती मानव-रूप।
पुस्तक नित ही बाँटती,सत्य,न्याय की धूप॥

पुस्तक की हो वंदना,पूजन-अर्चन नित्य।
पुस्तक की जयकार हो,पुस्तक है आदित्य॥

परिचय-प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

Leave a Reply