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ज्ञान दें हर मानव को

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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विश्व पुस्तक दिवस स्पर्धा विशेष……

सब मिलके खुशी मनाएँ,पुस्तक दिवस के सम्मान की,
पुस्तक से जो ज्ञान मिला,पुस्तक के उस वरदान की।

सादर नमन माता सरस्वती को,हंस वाहिनी, ज्ञानदायिनी को,
शुभ मंगल वरदायिनी को,नमन माता पुस्तक धारिणी को।

माता आपका ही दिया हुआ ज्ञान,भरी है पुस्तक,
जिसे पा के हर मानव जाति का है ऊँचा मस्तक।

पुस्तक से गुरु मिले,गुरु से मिला सम्पूर्ण ज्ञान,
ज्ञान को पा के कहलाता है हरेक मानव विद्वान।

कितनी शुभ घड़ी थी,आया था पुस्तक दिवस,
पुस्तक को ही पढ़कर मानव अब नहीं है विवश।

माँ वीणा पुस्तक धारिणी,ज्ञान भर दें हर मानव को,
ज्ञान दिया है मन में,मिटाया अज्ञान के हर दानव को।

पुस्तक में ही सभी धर्म को,लिखी हो आप हे माता,
वेद पुराण महाभारत गीता,चारों वेद लिखी माता।

पुस्तक का ढाई अक्षर प्रेम का,पढ़े सो पंडित होय,
जो प्रेम की भाषा ना समझे,उनसा मूरख ना कोय।

पुस्तक के अन्दर एक-एक अक्षर पूर्ण ज्ञान से हैं भरे,
पुस्तक से ही संत नेता अधिवक्ता वैज्ञानिक बने खरे।

पुस्तक से ही मानव जीवन में रोजी-रोटी और मकान,
हरेक कदम पे सब आगे रहते,और बनता मनुज महान॥

परिचय-श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।

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