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बचिए और बचाइए, ‘कोरोना’ से आज

संदीप सृजन
उज्जैन (मध्यप्रदेश) 
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चाल चली इक चीन ने,बिगड़े सबके हाल।
‘कोरोना’ यह वायरस,बना जीव जंजाल॥

सारा जग इससे दुखी,किसे सुनाये पीर।
कोरोना ने कर दिए,हाल बहुत गंभीर॥

भारत का जन-जन करे,मिलकर बड़े प्रयास।
बिना मॉस्क छोड़े नहीं,अपना कभी निवास॥

हाथों को धोते रहे,सैनिटाइज साथ।
कीटाणु से मुक्त रहे,हर पल अपने हाथ॥

सर्दी और जुकाम संग,भारी हो गर साँस।
बिन देर किए पंहुचें,तुरन्त डॉक्टर पास॥

बचिए और बचाइए,कोरोना से आज।
इक्कीस दिन तक छोड़कर,अपने सारे काज॥

चौपालें सूनी करें,करें सड़क वीरान।
देश बचाने के लिए,दें बड़ा योगदान॥

कोरोना से बच गये,तो होंगे त्यौहार।
दीप जलेंगे आँगन में,जगमग होंगे द्वार॥

आओ मिलकर के करें,कोरोना संहार।
संयम से जीवन जिएं,दूर सभी व्यवहार॥

इंसा है तो देश है,और देश का ताज।
पहले रक्षा स्वयं की,फिर पूजा व नमाज॥

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