मर्यादा को ना बिसराएं

रहें सदा ही अनुशासन में, औरों को भी पाठ पढ़ाएं। कुदरत से सीखें हम जीना, मर्यादा को ना बिसराएं॥ सूरज करता जग उजियारा चंद्र मिटाता है अँधियारा। करें सभी कर्त्तव्य…

0 Comments

लम्हा-लम्हा गुज़र जाएगी

तेरी हँसती-खेलती जिंदगी, लम्हा-लम्हा गुज़र जाएगी स्वप्न अक्सर सच नहीं होते, खुली आँख सच बताएगी। क्या खोया क्या पाया जग में, यादें सब यहीं रह जाएगी नेक कर्म ही जाएंगे…

0 Comments

दिल के अरमां…

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** देखना एक दिन,दुनिया से चले जाएंगेढूंढते फिरोगे,बिल्कुल नज़र नहीं आएंगेचर्चे होंगे हमारी वफ़ा के,इस जमीं परऔर हम सिर्फ,तस्वीर में नजर आएंगे। बेजान-सी तन्हाई तुम्हें,जीने नहीं देगीरात के…

0 Comments

हँसता हूँ, मगर उल्लास नहीं

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************** हँसता हूँ मगर उल्लास नहीं, रोने पे मुझे विश्वास नहीं,इस मूरख मन को जाने क्यों, ये जी बहलावे रास नहीं। अश्रु का खिलौना टूट गया, मुस्कान…

0 Comments

चाय का जायका

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीमनेन्द्रगढ़ (छत्तीसगढ़)********************************************* ठिठुरती सर्दियों में जब मिल जाए,एक गरमा-गरम कड़क चाय की प्यालीतो सचमुच अप्सरा लगे घरवाली। साथ में गर हो कुरकुरे पकौड़े की थाली,और तीखी चटनी टमाटर…

0 Comments

कोई जब जाता है

अरुण वि.देशपांडेपुणे(महाराष्ट्र)************************************** कोई अपना अचानक,हमेशा के लिए छोड़दूर-दूर चला जाता है,दर्द तो हो ही जाता है। मन को असहनीय पीड़ाहोती हैक्षण शोक-मग्न सारे,मन सुन्न-सा हो जाता है। वियोग का दु:ख…

0 Comments

जब बसंत लहराया…

रत्ना बापुलीलखनऊ (उत्तरप्रदेश)***************************************** रक्तिम रंग ले सूर्य से,सरसों से ले पीत रंगआई ऋतुओं की रानी,देखो सुन्दरी बंसत। सूर्य की लाली का चादर,ओढ़ जब बंसत लहरायाबासंती बयार से मानो,वसुधा का परचम…

0 Comments

सफ़र ही सफ़र

सच्चिदानंद किरणभागलपुर (बिहार)**************************************** जिंदगी एक खुली किताब,कि जिसका होहर पृष्ठ शोहरत की,उमीदों में सजी हुई।चाहत लम्बी हो पर आस की,हो प्रबल दिव्यताकि रश्मि-ज्योत यशकृतेज्ञ,की महत्वपूर्ण आस्था।परिवेश से सम्पूर्ण,प्रतिष्ठा का अनमोल…

0 Comments

ढपली वाला…

कवि योगेन्द्र पांडेयदेवरिया (उत्तरप्रदेश)***************************************** नई-नई ढपली,नई-नई शुरुआतआवाज में नजाकत भी नई-नई है,दो-चार भजनऔर कुछ हृदय विदारक गीत,कुछ दिन रटकरयाद किया हुआ है। हमारी रेल यात्रा का,एक यह भी हमसफर हैढपली…

0 Comments

बिखरने न देना भारत को

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** लड़ी लड़ाइयां कई है अब तक,थी इतिहास में तीर-तलवारों सेसियासी लड़ाइयां लड़ी जाती है,आज जाति-धर्म की तकरारों से। अरे जागो भारतवासी आज तो,समझो कि भारत देश…

0 Comments