फर्ज निभाती है बेटी

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* क्यों दुनिया वाले ये कहते रहते हैं बेटी होती है पराई,बेटी ही है जो माता-पिता के, हृदय में रहती है समाई। समय पर बेटे जैसा फर्ज…

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सुखद एहसास

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** मैंने अपने मन को छुआ,एक सुखद एहसास हुआक्या खोया क्या पाया,दर्पण बिल्कुल साफ किया। अंधेरों में किए उजाले,दीनों के संग प्यार कियानहीं की काँटों की परवाह,हर आँगन…

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माँ की सूरत में भगवान

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* देखकर तेरी सूरत माँ, भगवान को हम याद करते हैं, प्रभु को हम देखे नहीं, तुझे देख उन्हें प्रणाम करते हैं ममता मिलती तुमसे…

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कर्म-फल

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** अपने-अपने ही कर्म फल,इक दिन तो सब चखते हैं। दूजों के हित जो गढ्ढा खोदे,खुद ही उसमें वह गिरता हैबीतेंगे यह कठिन दिवस भी,दिन तो सबका ही फिरता…

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नीम का सुकून

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** फूलों से लदे,हरे-भरे नीम की महकदे जाती है मन को सुकून,भले ही नीम कड़वा हो। पेड़ पर आई जवानी,चिलचिलाती धूप सेकभी ढलती नहीं,बल्कि खिल जाती हैलगता, जेसे…

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नैतिक पथ पर चलना सिखाएं

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** आओ हम सब मिलकर,एक सभ्य समाज बनाएंविधा का दीपक जलाकर,घर-घर अलख जगाएं। विधा एक गहरा सागर है,मिलकर डुबकी खूब लगाएंदूर होते हैं सारे अवगुण,ज्ञान में कमी कभी…

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सफर बहुत कठिन, मगर..

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीमनेन्द्रगढ़ (छत्तीसगढ़)********************************************* ये सफर बहुत है कठिन मगर,तू जो बन जाए मेरा हमसफ़रजीवन के ये टेढे़-मेढ़े डगर,मुड़ जाते हैं सब एक नगर। ऊँची-नीचे पथरीली सतह पर,कभी नर्म घास…

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बाली में हुआ संग्रह ‘काव्य उड़ान-भारत से विश्व तक’ का विमोचन

बाली (इंडोनेशिया)। बाली में भारत के प्रधान कौंसल प्रकाश चन्द ने साझा काव्य संग्रह 'काव्य उड़ान-भारत से विश्व तक' का विमोचन किया। यह विभिन्न देशों में रह रहे १५ भारतीय…

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क़िस्मत के सभी तमाशे

तारा प्रजापत ‘प्रीत’रातानाड़ा(राजस्थान) ***************************************** चारों ओर है पानी ही पानी,फिर भी ना जाने क्यों प्यासे हैं। माया के हैं भरे भंडारे,खाली सबके कांसे हैं। कोई जीता है कोई हारा,क़िस्मत के सभी…

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जीवन, भगवान और माॅं

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* भगवान हैं माॅं रूप में, पहचान लो सम्मान दो,देते नहीं सम्मान तो अपमान भी माॅं का न हो। माॅं बिन नहीं जीवन कहीं, हर…

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