डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती
मनेन्द्रगढ़ (छत्तीसगढ़)
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ये सफर बहुत है कठिन मगर,
तू जो बन जाए मेरा हमसफ़र
जीवन के ये टेढे़-मेढ़े डगर,
मुड़ जाते हैं सब एक नगर।
ऊँची-नीचे पथरीली सतह पर,
कभी नर्म घास तो कभी सर्द आस
कट जाएगा वो लम्हों का घेरा,
जब तू बन जाए मीत मेरा।
जिंदगी के इस नए पड़ाव में,
भटक न जाए राह कभी दिलबर
गर तुम दो मेरा साथ ओ प्रीत,
तेरा साथ बन जाए मधुर संगीत।
बिखरे हुए पलों को समेट लेना,
जीवन की दौड़ में हर पल साथ देना
धड़कनों में नई रफ्तार भर देना,
अनंत प्रेम का अमृत गागर छलका देना।
यूँ ही कट जाएगा जीवन का सफ़र,
चुटकियों में भर दे खुशियों की लहर।
हर पल जाग उठे उमंगों की सहर,
तू जो बन जाए मेरा हमसफ़र॥
परिचय- शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राध्यापक (अंग्रेजी) के रूप में कार्यरत डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती वर्तमान में छतीसगढ़ राज्य के मनेन्द्रगढ़ में निवासरत हैं। आपने प्रारंभिक शिक्षा बिलासपुर एवं माध्यमिक शिक्षा भोपाल से प्राप्त की है। भोपाल से ही स्नातक और रायपुर से स्नातकोत्तर करके गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (बिलासपुर) से पीएच-डी. की उपाधि पाई है। अंग्रेजी साहित्य में लिखने वाले भारतीय लेखकों पर डाॅ. चक्रवर्ती ने विशेष रूप से शोध पत्र लिखे व अध्ययन किया है। २०१५ से अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय (बिलासपुर) में अनुसंधान पर्यवेक्षक के रूप में कार्यरत हैं। ४ शोधकर्ता इनके मार्गदर्शन में कार्य कर रहे हैं। करीब ३४ वर्ष से शिक्षा कार्य से जुडी डॉ. चक्रवर्ती के शोध-पत्र (अनेक विषय) एवं लेख अंतर्राष्ट्रीय-राष्ट्रीय पत्रिकाओं और पुस्तकों में प्रकाशित हुए हैं। आपकी रुचि का क्षेत्र-हिंदी, अंग्रेजी और बांग्ला में कविता लेखन, पाठ, लघु कहानी लेखन, मूल उद्धरण लिखना, कहानी सुनाना है। विविध कलाओं में पारंगत डॉ. चक्रवर्ती शैक्षणिक गतिविधियों के लिए कई संस्थाओं में सक्रिय सदस्य हैं तो सामाजिक गतिविधियों के लिए रोटरी इंटरनेशनल आदि में सक्रिय सदस्य हैं।