दिल को चुरा के बैठ गए
अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* आज चिलमन हिला के बैठ गये।एक जादू चला के बैठ गये। हाल दिल का बुरा बना डाला,नाज़ नख़रे दिखा के बैठ गये। चैन मिलता…
अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* आज चिलमन हिला के बैठ गये।एक जादू चला के बैठ गये। हाल दिल का बुरा बना डाला,नाज़ नख़रे दिखा के बैठ गये। चैन मिलता…
अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* मुहाफिज़ पड़ा सो रहा रौशनी का।बड़ा दायरा हो रहा तीरगी का। फरेबो दगा आम इतना चलन में,भरोसा नहीं रह गया अब किसी का। दमन…
अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* मशक्कत से रोज़ी कमाना सिखायें।सही राह बच्चों को हरदम बतायें। चलो आज फिर से नया घर बनायें।नये जोश से अपना आँगन सजायें। तनिक मत…
हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* दिल में जज्बात यही दर्द सभी सहता है।कुछ बयां हो न सके चुप ये तभी रहता है। आह भरता है मगर कुछ न कभी…
अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* हौंसले को नहीं भूलकर तोड़िए।प्यार से जुड़ रहा जो उसे जोड़िए। उल्फ़तों से जुड़ेगा जहां एक दिन,नफ़रतों की सभी हांडियां फोड़िए। बर्क़ रफ्तार गाड़ी…
अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* एक आना उबाल ब़ाक़ी है।उससे करना सवाल बाकी है। बद ज़बां बात कह चुका अपनी,सिर्फ़ होना बवाल बाकी है। है तजुर्बा बहुत बड़ा लेकिन,सर…
अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* बदलते रूप हैं हर पल यहाँ दिलकश नज़ारों के।हमेशा एक से रहते नहीं हैं दिन बहारों के। कभी जाड़ा कभी गर्मी कभी बरसात का…
अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* एक पौधा लगा लिया जाये।घर को सुन्दर बना लिया जाये। रौशनी को बढ़ा लिया जाये।फिर सनम को बुला लिया जाये। शह्र में रोज़ घट…
अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* जैसे हो इन्कार तक पहचान से।देखते हैं इस तरह अन्जान से। कैस से आबाद थे जो कल तलक,दिख रहे हैं दश्त वो वीरान से।…
हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* नया उजाला-नए सपने.. रचनाशिल्प:२१२२ १२२१ २२१२ इक नया वर्ष जीवन में आने को है।उम्र से वर्ष फिर एक जाने को है। गिनतियाँ उम्र में…