हिन्दी हर तरफ हो

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)**************************************************** अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस विशेष.... नये अब गुल खिलाना चाहती है।‌ये खुल कर मुस्कुराना चाहती है।‌‌दिलों में घर बनाना चाहती है।‌नहीं कोई ख़ज़ाना चाहती है।‌‌शिकायत…

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तब होश था कहाँ

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** रचना शिल्प:बहर-२१२२,२१२२,२१२२,२१२; क़ाफ़िया-आरी,रदीफ़-हुई तारी हुई तब होश हमको था कहाँ,ज़िन्दगी भारी हुई तब होश हमको था कहाँ। बेखुदी में यार कुछ भी सोच हम पाये नहीं,उनसे…

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सुर-ताल का उपहार दे गई

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)*************************************** सुरों की अमर 'लता' विशेष-श्रद्धांजलि.... गीतों का इस जहान को भंडार दे गयी।संगीत का हमको नया संसार दे गयी। 'दीदी' कहा समाज ने हिन्दोस्तान ने,लाखों नए…

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जिन्दगी

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************** रचना शिल्प:१ २ २ १ २ २ १ २ २ १ २ २ गुजर कर रही जिन्दगी जिस डगर में,न हमराह कोई बने उस…

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छिपा लेते तो अच्छा होता…

एल.सी.जैदिया ‘जैदि’बीकानेर (राजस्थान)************************************ तुम छिपा लेते अपना गुमान,तो अच्छा होता।तुम काबू में रख लेते जुबान,तो अच्छा होता। झुकी हुई ये आँख तुम्हारी यूँ कभी न शर्माती,गर कर लेते सभी का…

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निकलने लगा फिर सवेरा

डॉ.अमर ‘पंकज’दिल्ली****************************************** तुम्हीं ने है तोड़ा अँधेरों का घेरा,निकलने लगा है नया फिर सवेरा। नये साल ने मुस्कुराकर कहा है,चमक सूर्य बनकर है ये साल तेरा। जहाँ तक समंदर है…

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मुहब्बत का खुला पैगाम गाँधी

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)**************************************************** नया एंगिल नया आयाम गाँधी।हमारे मुल्क को इन्आम गाँधी। बुराई से रहे लड़ते हमेशा,मुहब्बत का खुला पैगाम गाँधी। भुला सकता नहीं सदियों ज़माना,जहां में…

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सूखी है जमीं

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************** रचना शिल्प:काफिया-आत(बात,सौगात,खैरात इत्यादि),रदीफ-हुई होगी २ २ १ १ २ २ २ २ २ १ १ २ २ २ जब दूर गगन,धरती,आपस में मिले होंगे,तब…

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न गुज़रे किसी पर

सरफ़राज़ हुसैन ‘फ़राज़’मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश) ***************************************** छलकती हैं आँखें ज़रा 'सी खुशी पर।जो गुज़री है हम पर न गुज़रे किसी पर। परेशाँ हमें देखकर हँसने वालों।हँसी आ रही है 'तुम्हारी 'हँसी पर।…

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हम पिघलते हैं

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)**************************************************** ख्वाब जब लफ़्ज़ में बदलते हैं।शायरी में तभी तो ढलते हैं। राह की मुश्किलों से डर कर हम,लक्ष्य हरगिज़ नहीं बदलते हैं। राह सबको…

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