भारत महान है

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)*************************************** हिन्दू नहीं मुस्लिम नहीं,सबका मकान है।कानून का है राज,यह हिन्दोस्तान है। क्यों नागरिक कानून पर गुमराह हो रहे ,कुछ वक्त के मारों को बस ये प्रावधान…

0 Comments

उनको शिक़ायत हमसे

एल.सी.जैदिया 'जैदि'बीकानेर (राजस्थान) ************************************ बे'सबब करने लगे लोग अदावत हमसे,कल तक सीखी,जिसने शराफत हमसे। कोई खास नही दरख्व़ास्त उनसे हमारी,वो आज मगर क्यूं करते बगावत हमसे। कदम चार हैसियत से…

0 Comments

जिंदगी की मोह माया

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)*************************************** रूप की सोलह कला में चाँद कब से ढल रहा है।और ऊपर आग का गोला युगों से जल रहा है। आदमी को भोगनी है सृष्टि की…

0 Comments

वफ़ा निभाने चला हूँ

अनिल कसेर ‘उजाला’ राजनांदगांव(छत्तीसगढ़)************************************ भूल अपनी मैं भुलाने चला हूँ,बेवफ़ा से वफ़ा निभाने चला हूँ। मोहब्बत में धोखा उसने दिया है,पर बेवफ़ा ख़ुद को बताने चला हूँ। झूठे वादे किए थे…

0 Comments

याद है मुझको

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)*************************************** सभी बचपन की वो बातें सुहानी याद हैं मुझको।सुने दादी से किस्से खानदानी याद हैं मुझको। मेरी नानी भी मुझको हद से ज्यादा करती थी ,सुनीं…

0 Comments

दिखाये उजाले क्यूँ !

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)*********************************** अंधेरे ही मिले हमको,दिखाये फिर उजाले क्यूँ,लुटाना था सभी कुछ तो,लगाते फिर ताले क्यूँ। लगी है भूख जोरों की,नहीं है पास खाने को,नहीं दोगे हमें…

0 Comments

संजीदगी कुछ-कुछ

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** रचनाशिल्प:२२१२ २२१२ २२१२ २२१२ आज फ़ित्ना में लगे पाकीज़गी कुछ-कुछ।मुस्कराहट लाएगी संजीदगी कुछ-कुछ। साँस बन बहते यहीं वादे सबा में तुम,हो रही महसूस अब मौजूदगी कुछ-कुछ। चाक…

0 Comments

एहसान जताते लोग हैं

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** एहसान ऐसे फालतू क्यों कर जताते लोग हैं।दरअसल में इंसानियत को भूल जाते लोग हैं। फुरसत नहीं एक-दूसरे को बोलने की घर में कभी,वो गैर का हमदर्द…

0 Comments

रोज मर जाना श़गल इनका

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** रोज मरते हैं जो मय्यत भी सजा सकते हैं,कैसे ज़िन्दा हैं वही लोग बता सकते हैं, अपने मरने का जो अंदाज़ दिखा सकते हैं,राज है क्या…

0 Comments

ख्वाब हम भी सजा लें

अरशद रसूलबदायूं (उत्तरप्रदेश)****************************************** हरिक बदगुमानी को दिल से निकालें,हमें तुम संभालो,तुम्हें हम संभालें। यह जीवन बिखरने लगा है अभी से,नज़र एक-दूजे की जानिब घुमा लें। अगर ग़म को बदनाम करना…

0 Comments