किनारा भी नहीं है

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ दरिया है ये कैसा कि किनारा भी नहीं है,मझधार में तिनके का सहारा भी नहीं है। मुश्किल में मुझे छोड़ के मुँह फेरने वाले,ग़ैरत ने मेरी तुझको पुकारा…

0 Comments

मेरे प्यार का रंग

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)****************************************** रंग और हम(होली स्पर्धा विशेष )... लाख इंकार पे भी वो तेरे इक़रार का रंग,उम्र भर सुर्ख़ रहा जिससे मेरे प्यार का रंग। नाम…

0 Comments

हमारे कर्म

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** रचनाशिल्प:क़ाफ़िया-अब,रदीफ़- क्या होगा,बहर १२२२,१२२२,१२१२,२२ हमारे कर्म का कोई हिसाब क्या होगा,कहीं लिक्खा नहीं है तो ज़वाब क्या होगा। गँवा दे चैन अपना देख कर सभी जिसको,उससे…

0 Comments

रास्ते मिल गए

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* खुद ब खुद इश्क़ के रास्ते मिल गये।प्रेम के जब मुझे क़ाफिल मिल गये। सामने धुंध अज़हद घनी थी मगर,जब चले दो क़दम रास्ते…

0 Comments

इंक़िलाब आने दो

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* कुछ तो अच्छा जनाब आने दो।नींद के साथ ख़्वाब आने दो। सब्ज़ परचम सदा रखो ऊँचा,अब नहीं इज़्तिराब आने दो। बन्द कर दो दुकानदारी…

0 Comments

अश्क़

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** नीर आँखों से ढलक कर बह रहा।ये व्यथा अश्कों के ज़रिए कह रहा। बंद अधरों ने सुना दी है व्यथा,दर्द दिल का जाने कब से सह…

0 Comments

साथ चलना ही मुनासिब

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* हर क़दम निश्चित सफलता चाहते हैं।हम सलीक़ा औ सरलता चाहते हैं। अब नहीं कोई गरलता चाहते हैं।हम नहीं हरगिज़ विफलता चाहते हैं। भूल कर…

0 Comments

रहेंगी कहानियाँ उनकी

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** रचनाशिल्प:क़ाफ़िया-नियाँ,रदीफ़-उनकी  बहर २२१२,२२१२,१२१२,२२ जो जा चुके हैं बच गयी निशानियाँ उनकी,ज़िन्दा रहेंगी गीतों में कहानियाँ उनकी। वो हो गये कुर्बान अपना नाम कर गये,आयी वतन के…

0 Comments

चमन को सजाने लगा हूँ

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)**************************************************** सनम को जहाँ आज़माने लगा हूँ।सुकूं चैन दिल का गँवाने लगा हूँ। नये पुल यक़ीं के बनाने लगा हूँ।उसे देख कर मुस्कुराने लगा हूँ।…

0 Comments

मनाएं ज़माने के सामने

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)**************************************************** नख़रे सभी उठायें ज़माने के सामने।रूठा सनम मनायें ज़माने के सामने। रोते हुए न आयें ज़माने के सामने।हौले से मुस्कुरायें ज़माने के सामने। रखना…

0 Comments