कर्मशीलता
विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ नाम मिले या गुमनामी,मेरा तो धंधा चलता है।मैं हूँ ऐसी छड़ी कि जिसको,पकड़ के अंधा चलता है॥ क्या कहती है दुनिया सारी,मुझको कुछ परवाह नहींकौन नाम है जिसके पीछे,चलती कुछ अफवाह नहीं।मैं आगे चलती हूँ पीछे,मेरा बंदा चलता है।मैं हूँ ऐसी छड़ी कि…॥ मेरा काम कल्पनाओं की,सिर्फ उड़ानें भरना हैपंखों को जो काम … Read more