मतवाला बसंत

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** बसंत है आया रंगीला बसंत है आया।सरस सुहावन अति मनभावन उर आनंद छाया॥ स्वागत है ऋतुराज पधारे रँग गुलाल उड़ाओ,झाँझर,चँग,मृदँग बजाओ झूमो नाचो गाओ।नृत्य करत रति…

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यों बिछड़कर कहाँ सो गए ?

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** सुरों की अमर ‘लता’ विशेष-श्रद्धांजलि…. यों बिछड़कर कहाँ सो गए।तुम न जाने कहाँ खो गए॥ गीतों से जग को सजाया,सुर-लय से मधुमय बनाया।बिन बताए विदा हो…

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तुम गीतों का विषय हो गईं

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ सुरों की अमर ‘लता’ विशेष-श्रद्धांजलि…. गाते-गाते गीत सदा ही,तुम गीतों का विषय हो गईं।स्वर साम्राग्यी अमर कोकिला,किस दुनिया में विलय हो गई॥ मैंने तुम पर गीत लिखा जोदीदी…

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साथ छूट जाते हैं…

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************* सुरों की अमर ‘लता’ विशेष-श्रद्धांजलि…. धीरज का बांध नहीं,तार टूट जाते हैं।सुर मलिका से हमारे,साथ छूट जाते हैं॥ शारदा साक्षात हुई थी,बन बैठी साधिका,सुर के श्रृंगार सजे,वह…

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कविता से नाता जोड़ लिया

रीता अरोड़ा ‘जय हिन्द हाथरसी’दिल्ली(भारत)****************************************************** तर्ज:चाँदी की दीवार न तोड़ी… घर-परिवार सब कुछ छोड़ा कविता से नाता जोड़ लिया।इक साहित्य प्रेमी ने माँ शारद से नाता जोड़ लिया॥ कल तक…

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ऋतु बसन्त शुभ आयो रे

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)**************************************** बसंत पंचमी विशेष…. रचना शिल्प:ताटंक छंद आधारित ऋतु बसन्त शुभ दिन आयो रे,सबके मन को भायो रे।पात-पात हरियाली सुन्दर,मधु बन भीतर छायो रे॥ नीला अम्बर,खूब…

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कर लें जनहित काम

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* जीवन पथ पर कब लग जाए,अंतिम पूर्ण विराम।जीवन रहते पुण्य सोच से,कर लें जनहित काम॥ दंभ कपट से भरे कृत्य का,करना होगा त्याग,श्रेष्ठ भाव की मृदुवाणी…

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क्या करें!

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)*************************************** खून के रिश्तों में आए संक्रमण का क्या करें!लुप्त होती मधुर वाणी आचरण का क्या करें!! डस गया विषधर हमारे लोक मंगल गान को,भूल बैठे पीढ़ियों…

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श्याम विरह

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** जबसे नेह लगाया तुमसे श्याम सलोने साँवरिया।इत-उत डोलूँ तुम्हें ढूँढती बनी तुम्हारी बावरिया॥ पल भर चैन पड़े ना तुम बिन अकुलाहट बढ़ती जाए,नीर झरे आँखों से…

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नाचीज बना दिया मुझको

गुरुदीन वर्मा ‘आज़ाद’बारां (राजस्थान)******************************** नाहक समझकर अपनों ने,नाचीज बना दिया मुझको।सौतन से लगाकर दिल सबने,बेघर बना दिया मुझको॥ क्यों दोष फिरंगियों को मैं दूँ,अपनों ने किया है सितम,किससे मैं अपनी…

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