अपलक देखती रहूँ तुम्हें

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************* तुम ही हो मेरी मांग का सिंदूर पिया।अपलक देखती रहूँ तुम्हें,भरे न जिया॥ एक पल के लिए होना न कभी ओझल,मेरी आँखों में रहो बनके…

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चोरी-चोरी,चुपके-चुपके

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** विष्णुपद छंद पर आधारित.............. चोरी-चोरी,चुपके-चुपके,प्रेमी प्रेम रहे।एक-दूसरे बिन दोनों यह,कैसे विरह सहे॥ चलते फिरते उठते जगते,है चिंतन करते,सोते हुए सभी सपनों में,वह आहें भरते।दु:खदाई हर पल…

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घाटी में…

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)******************************************** झूठ सत्य से तोल दिया है घाटी में।केसर का रस घोल दिया है घाटी में॥ दफा तीन सौ सत्तर किसने लगवाई,सोच समझकर ही हमने यह हटवाई।इसका…

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हरियाली से भू सुरक्षित

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** कृषक खुशी से झूम रहा है बदरी के छा जाने से।हरियाली से भू सुरभित है इस सावन के आने से॥ खेती भी लहलहा उठी है,बारिश जमकर…

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काज संवारो हे त्रिपुरारी

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************* रचना शिल्प:शंकर छंद आधारित..... शिव भोला भंडारी शंभू,शीश गंगा धार।शिवा वास करें कैलाश पर,जगत के आधार॥ मुश्किल में है कलयुग भोले,कैसे धरूॅं ध्यान,कठिन हुआ है जीना अब…

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बरसात में

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************** पिया की याद मुझे सताये बरसात में।जिया में आग लगी जाये बरसात में॥ जल की मछली तड़पे जल बिन,मैं तो तड़पूं तारे गिन-गिन।मैं मछरिया किस्मत की…

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स्वर्ग धरती आ रहा है

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)******************************************** लोक में परलोक का नक्शा उतारा जा रहा है।देवता भयभीत हैं कि स्वर्ग धरती आ रहा है॥ अब हवाएं मौन होंगी,नीड़ निगलेगी न आँधी,यातनाएं गौण होंगी,खून…

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वीरों की वीर निराली

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************** थी वीरों की वीर निराली,वह रानी मतवाली थी।जिसका साहस,शौर्य प्रखर था,संग भवानी-काली थी॥उस झाँसी की सेनानी की,सारे ही जय बोलो।बंद पड़े जो इतिहासों में,उन पन्नों…

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शुभ कल्याण लिखें

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* श्रेष्ठ सृजन कर जीवन पथ पर,सुंदर शुभ कल्याण लिखें।दीन-दुखी जन जो सम्मुख हो,प्रतिक्षण अनुपम त्राण लिखें॥ नारी के सम्मान की रक्षा,मनुज हृदय समाया हो,समभावों के अनुपालन…

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मंज़िल मिली मरण को

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ पथ जीवन ने चला सदा पर,मंज़िल मिली मरण कोमार्ग थका बोझिल हो लेकिन,गौरव मिला चरण को। मैंने अपना रूप सँवारा,हर आभूषण तन पर धारासूरज-चाँद लगाये मुख पर,तोड़ा नभ…

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