दो जून की रोटी

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’  छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************************************* दो जून की रोटी मिलती,हम हैं किस्मतवाले। कितने लोग भूखे रहते हैं,मिलते नहीं निवाले॥ हाथ ठेला लिए धूप में,आम-जाम चिल्लाए, तब जाकर…

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बबूल

मनोरमा जैन ‘पाखी’ भिंड(मध्यप्रदेश) ******************************************************************* मन के मरुथल में हैं बो दिये बबूल, करते तन छलनी पर हैं मुझे कबूल। सौगात मिली है जो मुझको कैसे करूँ इंकार, सारे गम…

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मन

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़र देवास (मध्यप्रदेश) ******************************************************************************* मन बड़ा बलवान है ये, मन बड़ा बलवान। कभी तो लगता ईश्वर है, ये कभी लगता शैतान। मन बड़ा बलवान है ये मन... लाख…

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तुम भूल गए प्रियतम …

अनिता मंदिलवार  ‘सपना’ अंबिकापुर(छत्तीसगढ़) ************************************************** (धुन-इक प्यार का नगमा है...) एक तू ही तो अपना है, बाकी सब सपना है। तुम भूल गए प्रियतम, अब विरह में तपना है। रूठ…

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नशे में ही रह दिल…

रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ****************************************************************** नशे में ही हम हैं,नशे में जमाना, नशे में ही रह दिल,होश में ना आना। बेदर्द दुनिया का जुल्मी चलन है, जीने-मरने की खाते…

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मैं ढूंढ रहा हूँ..

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** मैं वस्त्रों में लिपटे रजकन ढूंढ रहा हूँ। मैं वो अपना मनहर बचपन ढूंढ रहा हूँll चोर,वजीर,सिपाही लिखते थे कागज पर, या सिक्कों की गुच्ची…

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आओ हम सौगंध उठाएं

सौदामिनी खरे दामिनी रायसेन(मध्यप्रदेश) ****************************************************** आओ हम सौगंध उठाएं, देश को निर्मल स्वच्छ बनाएं। सारे पर्यावरण को शुद्ध बनाएं, घर के कचरे के लिए कूड़ादान बनाएं। आओ हम सौगंध... जब भी…

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वृक्ष लगायें

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ****************************************************************************** आओ हम सब मिलकर के, इस धरती का श्रृंगार करें। घर-बाहर सब पेड़ लगा कर, तन-मन शुद्ध सुखी पायेंll फूल लगा कर हम सुगंध से,…

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ऐसी भी मजबूरी कैसी

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** दो शब्द नेह के लिखे हैं लेकिन,शायद ही पढ़ पाओ तुम। साजन याद बहुत आती है,जैसे हो आ जाओ तुम॥ पाती में ही कब तक…

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अनमोल प्रण बन गये

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* रातभर जो उबलते दृगों में रहे, प्रात होते ही क्यों ओस कण बन गये। खौलते नीर की तो व्यथा है यही, न गगन ही मिले न…

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