अब हर लो सारे पापों को
डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************* यह कैसा कोरोना आया,ले जा रहा इक साथ में,करता है भयभीत सभी को,कुछ न रह जाता हाथ में। मिलना अभी गुनाह हो गया,हाथ मिलाया नहीं गया,कैसा ये…
डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************* यह कैसा कोरोना आया,ले जा रहा इक साथ में,करता है भयभीत सभी को,कुछ न रह जाता हाथ में। मिलना अभी गुनाह हो गया,हाथ मिलाया नहीं गया,कैसा ये…
बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************ सुनों साथियों रखो हौंसला,बादल गम छँट जाएँगे।इक दिन तेरे ही आँगन में,सुख सूरज चमकाएँगे॥ धीरज मन में धारण करके,कार्य हमें सब करना है।मौत कभी क्या…
डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ रचनाशिल्प:२२११ २२११ २२११ २२ लाचार बड़ा आज महा रोग डराए।सोचे कि सभी रोग भरी मौत हराए॥संकट बहुत बड़ा इसको आज भगाएं।सारे जग में साथ सभी लोग…
आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* ज्ञानी सबसे बढ़कर बाबा,पढ़-लिख जाओ सिखलाया।स्वयं अकेला कठिन राह पर,चलकर हमको दिखलाया॥ भेदभाव को सभी मिटा के,संविधान लिख छोड़ा है।सकल जगत में मान देख लो,जात-पात सब…
आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* ज से जल जीवन स्पर्धा विशेष… नीर की महिमा जानें आप।गँवाकर करें न पश्चाताप॥ श्रेष्ठ जल ही बस है आधार।समझ लें इसका क्या है सार॥ व्यर्थ…
डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* ज से जल जीवन स्पर्धा विशेष… कटते अरण्य व सूखता जल,सूर्य आग तपा रहा।धरती तपे नदियाँ बिना जल,जीव भी दुख पा रहा॥ हर एक भौतिक जीव…
दिनेश कुमार प्रजापत ‘तूफानी’दौसा(राजस्थान)***************************************** रचना शिल्प:१६-१४ अन्त ३ × गुरु..... अपने ही घर में सेना से,पत्थर वाले ऐंठे हैं।सुकमा में नक्सली जवानों,की लाशों पे बैठे हैं॥ जाने किस नशे में…
डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ************************************* माँ सरस्वती वरदायिनी,विनती बारंबार है।माँ भाव नया उर में भरो,आज्ञा सब स्वीकार है॥ हे श्वेतकमल शुभआसनी,हमको यह वरदान दो।हम निर्विकार लिखते रहें,सबको ऐसा ज्ञान दो॥ मात…
बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)***************************** फागुन संग-जीवन रंग (होली) स्पर्धा विशेष… गीता छंद विधान:२६ मात्रा(२२१२ २२१२ २२१२ २२१)१४,१२ पर यति,२ पद समतुकांत) होली मचे फागुन रमें,फसलें रहे आबाद।पंछी पिया कलरव करे,उड़ते फिरे आजाद।…
डॉ. मनोरमा चन्द्रा 'रमा'रायपुर(छत्तीसगढ़)******************************************* करूँ ईश गुणगान,विनय कर साँझ सवेरे।कृपा करो श्रीनाथ,द्वार हैं आए तेरे॥करते भक्त पुकार,हृदय में आस जगाएँ।करें कामना पूर्ण,सभी शुभ फल को पाएँ॥ विनय भाव मन धार,कृत्य…