गणपति आन विराजो मन में

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* गणेश चतुर्थी विशेष..... सत्य राह की चलूँ डगर मैं,बोलूँ नित शुभ बोल।गणपति आन विराजो मन में,भाव भरो अनमोल॥ दीन दुखी की सेवा करना,नेक बने यह ध्येय।कर्म…

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बदलाव

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ********************************** सोचे जनता देख कर,ये कैसा बदलाव।महँगाई है बढ़ रही,बढ़ता सबका भाव॥बढ़ता सबका,भाव देख कर,जनता रोते।नहीं चैन अब,मिले किसी को,रात न सोते॥बच्चे भूखे,बैठे रहते,खुद को…

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कृष्ण जन्म

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ********************************** जन्माष्टमी विशेष.......... जन्म लिये जब कृष्ण,घना बादल था छाया।बरसे पानी मेघ,देख मन भी घबराया॥टूटे बेड़ी हाथ,पाँव के बंधन खोले।देख देवकी मात,तनिक कुछ भी नहिं…

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भारत है सिरमौर

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** रोला छंद आधारित..... वीरों का अपमान,कभी नहीं देश सहेगा।भारत है सिरमौर,विश्व गुरु सदा रहेगा॥ भारत माँ की धूल,माथ से सदा लगाऊँ।वंदन कर इस पुण्य-भूमि को शीश…

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माँ ही चारों धाम

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** रचना शिल्प:१६-११ पर यति, पदांत २,१..... माँ से कोई बड़ा न जग में,चरणन करूँ प्रनाम।माता जग में सुंदर मूरत,माँ ही चारों धाम॥ माँ ही सबसे पहली…

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बांसुरी

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** रचना शिल्प:८८८७ वर्ण,क्रमश:प्रति चरण,४ चरण- समतुकांत। मधुर मुस्कान लिये,अधरों में तान लिये,बाँसुरी बजाय रहे,राधा को निहारे हैं। ग्वाल-बाल सखा सभी,गोपियाँ भी आयी तभी,मुरली की तान सुन,नाच…

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समर्पण

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** १६-१४,पदांत-२२२..... सदा समर्पण सिखलाता है,सच्ची राह चलाता है।कर्म-धर्म के पथ पर चलना,उच्च मार्ग बतलाता है॥ जीवन में उपयोगी दोनों,त्याग-समर्पण होते हैं।प्रेम भाव हैं मन में भरते,सत्पथगामी…

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सावन आया अब आओ

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************* रिमझिम बदरा बरस रहे हैं,सावन आया अब आओ,आकुल है मन तुमसे मिलने,मधुर सलिल रस बरसाओ। छम-छम करती बूंदे बरसे,नृत्य धरा पर दिखलाए,गर्जन करते मेघ साथ में,जैसे पावक…

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गीत खुशी के गाएंगे

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** रचनाशिल्प:मात्रा भार-३०- यति-१६,१४-पदांत-२२२.... गीत खुशी के गाएंगे हम,मिलकर साथ निभाएंगे।जन-मन को अभिनंदन करके,सबको साथ मिलाएंगे॥ आज खुशी के अवसर पर सब,मिलजुल कर के गाएंगे।एक-दूसरे का सुख-दु:ख…

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संघर्ष का पर्याय जीवन

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* रचना शिल्प:कुल मात्रा भार -२५/यति-१६-९; पदांत २१२ क्षणभंगुर जीवन सकल यह,कर लोे कर्म को।गीता का भी सार यही है,जानो मर्म को॥इस जीवन का कर्त्तव्य सदा,बस पुरुषार्थ…

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