ऐसी शरद पूर्णिमा को नमन

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************** शरद पूर्णिमा स्पर्धा विशेष….. अति शुभ सरस सुहावना सुखद अति,आज हुआ जग में शरद त्रृतु आगमन,सोलह कलाओं युक्त चन्द्रमा प्रकट हुयेधरती पे हुआ महालक्ष्मी का अवतरण। गोपियों के…

Comments Off on ऐसी शरद पूर्णिमा को नमन

शरद पूर्णिमा

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************************* शरद पूर्णिमा स्पर्धा विशेष….. कितना सुन्दर मौसम देखो,सतरंगी बन आया है।वन-उपवन अब लगे सुहाना,सबके मन को भाया हैll धूप लगे है शीतल अब तो,लगे आसमां…

Comments Off on शरद पूर्णिमा

माँ के द्वार

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ (रचना शिल्प:३० मात्रा,१६-१४ पर यति) हे दु:ख हारिणि,कष्ट विदारिणि,मंगल करणी,जगदंबे।मातु भवानी,भवभय हारिणी,जनकल्याणी हे अंबेll शेरावाली तू ब्रह्माणी,हे वरदानी,दया करो।आज जगत में कष्ट समाया,हे कल्याणी! कष्ट हरोll…

Comments Off on माँ के द्वार

बाबुल का घर जग से प्यारा

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)******************************************************** बाबुल का घर द्वार,लगे हैं जग से प्यारा।मिलता सबका नेह,बिते जीवन ये सारा॥हँसी खुशी का खेल,खेलते हैं सब मिलकर।घर आँगन में पुष्प,महकते सुन्दर खिलकर॥ बचपन…

Comments Off on बाबुल का घर जग से प्यारा

दीप जलाऊँ

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************************************ (रचना शिल्प:१६/१४) दीप जलाकर इन हाथों से,किरण जहां में फैलाऊँ।चाँद सितारों को झुठलाकर,दूर निशा तम हर जाऊँ॥ रात कालिमा जब भी आए,उजियारा इनसे कर दूँ।गहन…

Comments Off on दीप जलाऊँ

आया है कोरोना

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ************************************************************* छन्न पकैया छन्न पकैया,आया है कोरोना।बच्चे-बूढ़े घर में बैठे,शुरू हुआ है रोना॥ छन्न पकैया छन्न पकैया,अपना मुँहूँ छुपाये।बन्द हो गया आना जाना,दूरी सभी बनाये॥…

Comments Off on आया है कोरोना

नेता

बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)************************************************* (रचना शिल्प:१३ मात्रा(दोहे के विषम चरण की तरह)वाले तीन चरणों से निर्मित,व्यंग और कटाक्ष के लिए लेखन,५ प्रकार के होते हैं) नेता(पूर्व जनक छंद-प्रथम दो चरण सम तुकांत…

Comments Off on नेता

मात है धरा यही

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) **************************************************** (रचना शिल्प:समवार्णिक छंद है-प्रत्येक चरण में ७ वर्ण;क्रम १ रगण +१ जगण + १ गुरु। २१ २१ २१ २,२१ २१ २१ २) पावनी धरा सहे,मानवी विकार…

Comments Off on मात है धरा यही

गणेश वंदना

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ************************************************************* छन्न पकैया छन्न पकैया,बाल गणेश पधारे।मूषक ऊपर सवार करके,आये मेरे द्वारेll छन्न पकैया छन्न पकैया,बच्चे उनको भाये।सबके घर में जा-जा करके,लड्डू मोदक खायेll छन्न…

Comments Off on गणेश वंदना

शिक्षा का अलख जगाओ

महेन्द्र देवांगन ‘माटी’पंडरिया (कवर्धा )छत्तीसगढ़ ************************************************** घर घर अक्षर दीप जलाओ,उजियारा अब सब लाओ।नहीं रहे कोई अनपढ़ अब,शिक्षा का अलख जगाओ॥ भेद करो मत बेटी-बेटा,सबको आगे लाना है।लक्ष्य साधकर कार्य करो…

Comments Off on शिक्षा का अलख जगाओ